SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 183
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सिद्ध-सारस्वत 36. प्राकृत और संस्कृत का तुलनात्मक विवेचन, चौखम्बा संस्कृत सीरीज, सेन्चुरी कामेमोरेशन वाल्यूम, 1993, पृष्ठ 118-125. 37. आ. कुन्दकुन्द के दर्शन में निश्चय और व्यवहार नय, वात्सल्य रत्नाकर, 1993, खण्ड / / , पृष्ठ 671-682. 38. आचार्य प्रभाचन्द्र, वात्सल्य रत्नाकर, 1993, खण्ड / / , पृष्ठ 694-708. 39. महाराष्ट्री प्राकृत में मूल "य" वर्ण का अभाव, आस्पेक्ट्स ऑफ जैनोलॉजी, वाल्यूम 4, पी.वी. रिसर्च इन्स्टिट्यूट, वाराणसी, 1994, पृष्ठ 19-24. 40. जैनागम और आगमिक व्याख्या-साहित्य : एक अध्ययन, आस्पेक्ट्स ऑफ जैनोलॉजी, वाल्यूम 5, पार्श्वनाथ शोध विद्यापीठ वाराणसी, 1994, पृष्ठ 38-47. 41. ब्रह्मवैवर्तपुराणम्, सूर्योदयः, सितम्बर-अक्टूबर 1994, वर्ष 71, अङ्क 9-10, पृष्ठ 5-8. 42. वीरोदय में ऋतु वर्णन, कीर्ति स्तम्भ, श्री दि. जैन समिति अजमेर, 1994, पृष्ठ 90-95. 43. जैन दर्शनानुसारं नारीणां स्थितिः, सूर्योदयः, वर्ष 72, अङ्क 9-12, सित.-दिस., 1995, पृष्ठ 7-9. 44. जैन आगम ग्रन्थों का लिपिकरण, शोधादर्श लखनऊ, अङ्क 26, जुलाई 1995, पृ. 162-166. 45. न्यायकुमुदचन्द्र और उसके सम्पादन की विशेषताएँ, डॉ. महेन्द्रकुमार जैन न्यायाचार्य स्मृति ग्रन्थ, 1996, पृष्ठ 25-27. 46. जैन श्रमण संस्कृति की प्राचीनता एवं वैदिक संस्कृति, भारतीय संकृति एवं साहित्य में जैनधर्म का योगदान, (स्मारिका), अ.भा.दि. जैन विद्वत्परिषद्, वाराणसी, 1996, पृ. 1-4. 47. जैन साहित्य में हनुमान् , राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर, ई. 1996, पृ. 141-147. 48. आओ खोजें, संसार की वस्तुएँ किस तत्त्व से बनी हैं ? जैन बालादर्श, इलाहाबाद, अक्टू.1995, पृ. 14-15. 49. क्या ईश्वर सृष्टिकर्ता है ?, जैन बालादर्श, इलाहाबाद, नवम्बर 1995, पृ. 3-4. 50. सुख-दुःख जन्म-मरण आदि का कारण कौन ? जैन बालादर्श, इलाहाबाद, जनवरी 1996, पृ. 11-12. 51. कर्म-सिद्धान्त का विशेष विचार, जैन बालादर्श, इलाहाबाद, फरवरी 1996, पृ. 9-10. 52. कर्मबन्ध अन्धा कानून नहीं, जैन बालादर्श, इलाहाबाद, मार्च 1996, पृ. 27-29. 53. किन कार्यों से किस कर्म का बन्ध होता है ?, जैन बालादर्श, इलाहाबाद, अप्रैल 1996, पृ. 33-35. 54. त्रिरत्न में सम्यग्दर्शन का स्थान, जिनवाणी, सम्यग्दर्शन विशेषाङ्क अगस्त 1996, प. 103 -105. 55. जयोदय महाकाव्य में पदलालित्य, जयोदय महाकाव्य परिशीलन, मदनगंज, 1996, पृ. 422-426 56. सामाजिक सन्दर्भे स्याद्वादस्य भूमिका, सूर्योदय, दिसम्बर 1996 57. वर्धमान महावीर और जैनधर्म, गांडीव, 20 अप्रैल 1997, महावीर जयन्ती विशेषाङ्क 58. क्षु. जिनेन्द्र वर्णी एक सिमटा सा विराट व्यक्तित्व, दिसम्बर 1996, पृ. 88-89 पार्श्वनाथ पञ्चकल्याणक, वाराणसी. 59. इन्द्रप्रस्थ से मुक्तिधाम प्रस्तावना, पृ. ठ-थ, ई. 1999, पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन सोसायटी आर्यनगर, गोरखपुर. 60. प्राकृत के मुक्तक एवं खण्डकाव्य,जैन विद्या उ.प्र. शोध संस्थान, लखनऊ, ई.1998, पृ.52-59. 61. पहले सुधार किसमें (मुनि या श्रावक), दिशाबोध, कलकत्ता, सितम्बर 1999, पृ. 22-23. 62. श्वेताश्वतरोपनिषद् में जैन तत्त्व, ऋषभसौरभ, ऋषभदेव प्रतिष्ठान, दिल्ली, ई. 1997. 63. जैनपरम्परायां प्रमाणत्वं ज्ञाने, जैन-बौद्ध ट्रेडिशनस् इन संस्कृत,संस्कृत विभाग,पटना, 2001, पृ. 8-12 64. पार्श्वनाथ के सिद्धान्त : दिगम्बर श्वेताम्बर दृष्टि, श्रमण, जनवरी-जून 2012, पृ.25-32. 65. पातञ्जल योग और जैन योग का तुलनात्मक अध्ययन, प्रज्ञा, बी.एच.यू. 2003 66. शब्दब्रह्ममीमांसा, संस्कृतसौदामिनी, संस्कृतविभाग, बी.एच.यू.2004-05, पृ. 1-7. 67. जैनधर्म में सल्लेखना : जिज्ञासा और समाधान, प्राकृतविद्या, नई दिल्ली, जन.-दिस. 2004, समाधिविशेषाङ्क, पृ.39-45. 68. प्रायश्चित्त तप क्यों? श्रमण, जुलाई-सितम्बर 2010 69. श्वेताम्बर और दिगम्बर मान्यताओं में अन्तर, श्रमण, अप्रैल-जून, 2010 70. Is Peaceful co-eistence possible through Jainism अप्रैल-जून, 2010 71. Individuals can practice in everyday life to become more tolerance through Anekantavada, Non-violence and Syadvada theories of Jainism, Sramana, April 163
SR No.035323
Book TitleSiddha Saraswat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherAbhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year2019
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy