SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 130
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सिद्ध-सारस्वत निर्देशन में 40 विद्यार्थियों को शोध करवा कर पी-एच.डी. करवाई, कई मौलिक कृतियों की रचना की, कई कृतियों का अनुवाद एवं सम्पादन कर आपने साहित्य को समृद्ध किया। हमारे परिवार का परम सौभाग्य है कि जैन दर्शन, प्राकृत एवं संस्कृत के मूर्धन्य मनीषी यशस्वी विद्वान् एवं साहित्य सर्जक डॉ. सुदर्शन लाल जी (पंडित जी सा.) एवं उनकी धर्मपत्नी डॉ. श्रीमती मनोरमा जैन, जैनदर्शनाचार्य (लब्ध विदुषी) का सान्निध्य विगत वर्षों में हमें प्राप्त हुआ, दोनों ही अत्यन्त सरल, सौम्य, सादगी, वात्सल्य-प्रतिमूर्ति और आशीष प्रदत्ता दम्पति के प में हमारे मानस पटल पर अंकित हैं। आप सदैव हमारी सामाजिक और धार्मिक जिज्ञासाओं एवं शङ्काओं का समाधान कने के लिए तत्पर रहते हैं। आप दोनों सदैव स्वस्थ्य एवं प्रसन्न रहते हुए शतायु हों ऐसी इष्टदेव से प्रार्थना है। आपका स्नेह एवं संरक्षण हमें एवं समाज को निरन्तर प्राप्त होता रहे। आपके सम्मान में प्रकाशित होने वो अभिनन्दन ग्रन्थ के लिए मंगल कामनाएँ। इंजी. अरुण कुमार जैन एवं श्रीमती सुमन जैन ग्लोबस ग्रीन एकर्स, लालघाटी, भोपाल श्रुताराधक का अभिनन्दन पं. सुदर्शन लाल जी से मेरा परिचय सन् 2014 में हुआ था जब वह भोपाल के जैननगर में रहने आये थे। इनका नाम तो पूर्व में ही सुन रखा था, परन्तु साक्षात्कार नहीं हुआ था। मिलने पर आपके सरल स्वभाव और वैदुष्य का पता लगा। आपसे दश लक्षण पर्व पर व्याख्यान देने तथा तत्त्वार्थसूत्र पढ़ाने का जब अनुरोध किया तो आपने सहर्ष स्वीकार कर लिया। आपके प्रवचनों से जैन नगर की समाज को बहुत लाभ हुआ। जब आपसे एतदर्थ सम्मान राशि का अनुरोध किया तो आपने इसे स्वीकार करने से स्पष्ट मना कर दिया। जब-जब आपसे अनुरोध किया तब तब आपने शास्त्र वाचन करके यहाँ की समाज को धर्मलाभ से लाभान्वित किया। आपको अनेक पुरस्कार मिले एवं राष्ट्रपति द्वारा आपको सम्मानित किया गया यह आपके वैदुष्य का ही परिणाम है। बी.एच.यू. जैसे शिक्षण संस्थान में अध्यापन कार्य करते हुए डीन जैसे उच्च पद को भी आपने सुशोभित किया। अनेक विद्यार्थियों का पी-एच.डी. हेतु निर्देशन भी किया। मेरे व्यक्तिगत अनुरोध पर आप मेरी भतीजी ब्रह्मचारिणी सपना जैन को जो आचार्य विशुद्ध सागर जी से दीक्षा लेना चाहती है उसको संस्कृत एवं प्राकृत व्याकरण भी निःशुल्क पढ़ा रहे हैं। श्रुत की आराधना आपका लक्ष्य है। मैं आपके दीर्घायुष्य और स्वास्थ्य की मङ्गल कामना करता हूँ। इसके साथ ही वीतराग वाणी ट्रस्ट के प्रमुख प्रतिष्ठाचार्य पं. विमलकुमार जैन सोरया का भी अभिनन्दन करता हूँ जिन्होंने प्रो. सुदर्शन लाल जी जैन के गुणों को परखकर उनका अभिनन्दन करने का निश्चय किया। इंजीनियर श्री पद्मचन्द्र जैन जैननगर, भोपाल Dr. Jain will shine in the field of Education I have much pleasure in testifying to the abilites of my colleague, Dr. S.L.Jain, Dr. jain joinde the department in 1968 and since then has established himself as a competent teacher respected by students. His amiable disposition is his forte. As for as I have seen him, Dr. Jain impressed me as a deeply devoted to his subject and possesing a keen sense of responsibility. I am confident that with these qualities of head and heart, Dr. Jain will shine in the field of education. I wish him all success. Prof. Siddheswar Bhattacharya Head, Sanskrit Department, BHU 110
SR No.035323
Book TitleSiddha Saraswat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherAbhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year2019
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy