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________________ सिद्ध-सारस्वत अविस्मरणीय संस्मरण प्रो. सुदर्शन लाल जी जैन से हमारा प्रथम परिचय बनारस में हुआ, उस समय मैं वहां के एक निजी चिकित्सालय में न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग प्रमुख के तौर पर सेवाएं दे रहा था। प्रो. जैन स्वभाव से एक अनुशासन प्रिय, स्वाभिमानी तथा गंभीर कुशल प्रशासक हैं, हमारे प्रति उनका व्यवहार एकदम सहज एवं आत्मीय रहा, धीरे धीरे दोनों परिवारों में आत्मीयता बढ़ती गई और वे हमारे परिवार के अभिवावक एवं प्रेरणास्रोत हो गए। हमें दो बार उनके साथ एक ही कार में सम्मेदशिखर जी की यात्रा एवं दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ (एक बार बनारस एवं एक बार कोलकता से) और उस दौरान उनके वैदुष्य एवं आध्यात्मिक व्यक्तित्व से भी परिचय हुआ, उनके द्वारा जैन धर्म की गूढ़ परिभाषाओं का सरल शब्दों में एवं व्यवहारिक व्याख्यायें की उनकी हमें धर्म को समझने एवं व्यवहार में लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका है। वे निर्भीक एवं स्पष्टवादी हैं एवं जल्दी किसी बात के लिए वचन नहीं देते पर जिस कार्य का दायित्व स्वीकार करते हैं उसे पूरा निभाते हैं, सम्मेद शिखर जी मे गुणायतन के निर्माण में उनकी परिकल्पना का साकार रूप शाश्वत है। जो मुनिश्री प्रमाणसागर के द्वारा सम्पन्न किया जा रहा है। वे सरस्वती के वरदपुत्र, सादा जीवन उच्च विचार रखने वाले तथा जैन धर्म एवं संस्कृत-प्राकृत के मनीषी हैं एवं राष्ट्रपति पुरस्कार से अलंकृत हैं। आपका अभिनन्दन एक गौरवपूर्ण प्रेरक कदम है एतदर्थ मैं प्रतिष्ठाप्रज्ञ श्री सौरयां जी का आभार प्रकट करता हूँ एवं प्रो.जैन के उज्ज्वल एवं स्वस्थ्य भविष्य की कामना करता हूँ, ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि उनका स्नेह एवं आशीर्वाद हम पर सदैव बना रहे एवं मानव समाज उनके ज्ञान एवं अनुभवों से लाभान्वित होता रहे। डॉ मुकेश जैन विभाग प्रमुख, न्यूक्लियर मेडिसिन, RTIICS , कोलकता आने वाला कल भी गायेगा पं. जी की गाथा प्रो. पं. श्री सुदर्शन लाल जी वाराणसी को कौन विद्वान् है जो इनको नहीं जानता इनका जीवन सदैव जिनवाणी की सेवा में समर्पित रहा है। मेरी इनके प्रति शुभकामनाएँ हैं जब तक नभ में हैं सूर्य चन्द्र, गंगा यमुना की धारा है। तक तक इनका नाम वना रहे प्रभु से नमन हमारा है। इनका सरल स्वभाव देखकर झुक जाता है माथा, आने वाला कल भी गायेगा पंडित जी की गाथा।। श्री मुन्नालाल शास्त्री प्राचार्य, गंजबासौदा विद्वानों के निर्माता महामनीषी डॉ. सुदर्शन लाल जी मेरे गुरु डॉ. जयकुमार जी मुजफ्फरनगर के शिक्षा गुरु हैं। अनेक अवसरों पर आपसे मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ तथा आपसे मार्गदर्शन भी प्राप्त हुआ। मुझे प्रसन्नता है कि विद्वानों के निर्माता एवं श्रुत के सेवक डॉ. साहब का अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है। ग्रन्थ प्रकाशन समिति सम्पादक मण्डल एवं विशेष रूप से डॉ. पंकज जी धन्यवाद के पात्र हैं जो कि यह विशिष्ट कार्य सम्पादित कर रहे हैं। डॉ. मुकेश जैन 'विमल' आर्यपुरा, सब्जी मण्डी, दिल्ली - 7 103
SR No.035323
Book TitleSiddha Saraswat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherAbhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year2019
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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