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________________ सिद्ध-सारस्वत वंदनीय पं. जी पं. सुर्दशन लाल जी आदर्श चरित्र के धनी हैं। अपने आदर्शों एवं शोघ के लिए जैन समाज में ही नहीं अपितु सम्पूर्ण साहित्य के क्षेत्र में आपने अमिट स्थान प्राप्त किया है। आपने जैन समाज का नाम रोशन किया है। साथ ही अपने परिवार (पुत्र, पुत्री, पत्नी) को शिक्षा के क्षेत्र में शिखर पर पहुंचाया है। आपने जन्म से ही कठिन समय व्यतीत करके अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ा, आज इस भावना को देखकर एवं इनके कार्य, दृढ़ इच्छा शक्ति, आपकी किसी युवा से कम नहीं है। आपका ज्ञान हम सभी साधर्मियों को मिलता रहे, आप दीर्घायु हों, हमारे बीच में रहकर हमें प्रेरणा दायक मार्ग को प्रशस्त करते रहें। भगवान से यही कामना करता हूँ। श्री नील चौधरी एडवोकेट, जैन नगर, भोपाल सरस्वती एवं सरलता का विरल संगम पं. सुर्दशन लाल जी का व्यक्तित्व कुछ ऐसा है जो भी इनके सम्पर्क में आता है वो इनका होकर रह जाता है। 5/6 साल से आपका सान्निध्य मुझे प्राप्त है। आप साधारण वेषभूषा, मुस्कराता चेहरा, क्रोध के क्षणों में अपूर्व धैर्य तथा स्नेह बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है। आपमें एक आकर्षण है जो दूसरों से अलग रखता है। आपने धार्मिक, सामाजिक शैक्षणिक क्षेत्र में स्वतः उच्च शिखर को प्राप्त किया है साथ ही सैकड़ों क्या हजारों विद्यार्थियों सामाजिक कार्यकर्ताओं धर्माविलम्बियों को मार्गदर्शन दिया है। जिससे उनके अन्दर का ज्ञान ने स की। आप सरस्वती पुत्र हैं, आपके बारे में क्या लिखू जो भी लिखूगा वह कम है। आप स्वस्थ रहें, धर्म मार्ग में जीवन यापन कर अपने ज्ञान का दान करते रहें। यही कामना है। श्री राजीव जैन मंत्री, दिगम्बर जैन चौक कमेटी, भोपाल। आदर्श पुरुष पं. सुर्दशन लाल जी जैन एक गौरव पुंज व्यक्तित्व है। धर्म प्रभावना, समाज सेवा, संस्कृति के क्षेत्र में आपका अविस्मणीय योगदान रहा है। आपने चालीस से अधिक शोध कराकर विद्या के क्षेत्र में नये कीर्तिमान स्थापित किये हैं। साथ ही दिगम्बर जैन समाज का भी नाम रोशन किया है। आपका यश हमेशा समलङ्कित रहेगा। आपकी सेवाएं चिरस्मरणीय रहेंगी। आपके यशस्वी सुखी उन्नतशील दीर्घ जीवन के प्रति मेरी सद्भावनायें हैं। इं श्री विवेक चौधरी ट्रस्टी, नदीश्वर द्वीप जिनालय तथा अध्यक्ष, पार्श्वधाम दि. जैन मन्दिर भानपुर, भोपाल जैन दर्शन के अधिकारी विद्वान् डॉ. सुदर्शन जैन यह जानकर अत्यधिक प्रसन्नता हो रही है कि सिद्ध-सारस्वत व्यक्तित्व का अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित हो रहा है। बुंदेलखण्ड की माटी में जन्मे इस सपूत ने नाना प्रकार के कष्ट सहते हुये विषम परिस्थितियों से जूझते हुये, जिसके भविष्य का कोई अता-पता नहीं, जीवन के 75 वर्ष पूरे कर लिये हैं। आज जिनका देश-विदेश में जैन दार्शनिकों में नाम गिना जाता है, आधिकारिक विद्वान् डॉ. सुदर्शन जी से मेरा परिचय बहुत विलम्ब से 2015 में हुआ। 100
SR No.035323
Book TitleSiddha Saraswat
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSudarshanlal Jain
PublisherAbhinandan Granth Prakashan Samiti
Publication Year2019
Total Pages490
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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