SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 161
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चार गति में आयुष्य-प्रमाण देव आयुष्य जघन्य उत्कृष्ट 1. भवनपति |10 हजार वर्ष दो सागरोपम से कुछ अधिक 2. व्यंतर 10 हजार वर्ष एक पल्योपम 3. ज्योतिष पल्योपम का आठवाँ भाग 1 पल्योपम 1 लाख वर्ष अधिक 14. वैमानिक |एक पल्योपम 33 सागरोपम / नरक जघन्य जप उत्कृष्ट पहली नरक | 10 हजार वर्ष दूसरी नरक | 1 सागरोपम तीसरी नरक | 3 सागरोपम चौथी नरक | 7 सागरोपम पाँचवीं नरक | 10 सागरोपम छठी नरक | 17 सागरोपम सातवीं नरक | 22 सागरोपम 1 सागरोपम 3 सागरोपम 7 सागरोपम 10 सागरोपम 17 सागरोपम 22 सागरोपम 33 सागरोपम मनुष्य मनुष्य का जघन्य आयुष्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट आयुष्य 3 पल्योपम का है / उत्कृष्ट आयुष्य उत्सर्पिणी | अवसर्पिणी उत्कृष्ट आयुष्य छठा आरा पहला आरा तीन पल्योपम पाँचवाँ आरा दूसरा आरा दो पल्योपम चौथा आरा तीसरा आरा एक पल्योपम तीसरा आरा चौथा आरा पूर्व करोड़ वर्ष दूसरा आरा पाँचवाँ आरा 130 वर्ष पहला आरा छठा आरा बीस वर्ष कर्मग्रंथ (भाग-1) 153
SR No.035320
Book TitleKarmgranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2019
Total Pages224
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size39 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy