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________________ 3) उत्तराध्ययन सूत्र : भगवान महावीर परमात्मा ने अपने निर्वाण के पूर्व , किसी के द्वारा नहीं पूछे गए प्रश्नों के जो उत्तर दिए थे, उन उत्तरों के संग्रह रूप यह उत्तराध्ययन सूत्र है / इस सूत्र में कुल 36 अध्ययन हैं / इस सूत्र में कुल 1643 श्लोक व कुछ गद्य भाग भी है। दशवैकालिक की रचना के पूर्व आचारांग सूत्र के छह जीव निकाय (शस्त्र परिज्ञा अध्ययन) के योगोद्वहन के बाद बड़ी दीक्षा होती थी अतः नूतन मुनि को पहले आचारांग सूत्र सिखाया जाता और उसके बाद यह उत्तराध्ययन सिखाया जाता था / इसलिए भी इस सूत्र को उत्तराध्ययन कहा जाता है | इस सूत्र में आत्म-गुण रमणता के उपाय बतलाए हैं | उन उपायों के सेवन से आत्मा पुद्गल रमणता से मुक्त हो सकती है / इस सूत्र पर अनेक टीकाएँ उपलब्ध हैं। 4. ओघ नियुक्ति : इस आगम में मुनि जीवन में उपयोगी प्रतिलेखना आदि 7 द्वारों का वर्णन है / इसके रचयिता श्री भद्रबाहु स्वामीजी हैं। इसमें चरणसित्तरी व करण सित्तरी का वर्णन है | चारित्र का स्वरूप, चारित्र के टिकाने के उपाय व उसकी निर्मलता के उपायों का सुंदर वर्णन है / मोक्षमार्ग की साधना में चरण करणानुयोग की मुख्यता है, अतः नूतन मुनि आदि को इस सूत्र का सर्व प्रथम अध्ययन करना चाहिए / __ छह छेद सूत्र : जिस प्रकार शरीर का कोई भाग सड़ गया हो तो ऑपरेशन आदि द्वारा उस भाग को छेद दिया जाता है और दूसरे भाग को बचाया जाता है, बस, उसी प्रकार चारित्र रूपी शरीर के किसी भाग में दूषण लगा हो तो उस भाग को छेद कर शेष चारित्र को बचाया जाता है, उसके लिए उपयोगी सूत्र छेद सूत्र कहलाते हैं। जिस प्रकार राज्य व्यवस्था को चलाने के लिए मुख्य नियम बनाए जाते हैं...उन नियमों का दृढ़ता से पालन हो इसके लिए छोटे 2 नियम बनाए जाते हैं / जो व्यक्ति उन नियमों का भंग करता है, उसे कानून (नियम) के अनुसार दंडित किया जाता है / इसी प्रकार जैनेन्द्र शासन में तीर्थंकर परमात्मा राजा तुल्य है, गणधर आदि प्रधान मंडल हैं / साधु-साध्वी-श्रावक कर्मग्रंथ (भाग-1) 197
SR No.035320
Book TitleKarmgranth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayratnasensuri
PublisherDivya Sandesh Prakashan
Publication Year2019
Total Pages224
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size39 MB
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