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________________ कल्पसूत्र का शुद्धि पत्र (मूल पाठ) शुद्ध निघंट साहरावित्तए कुच्छीओ उत्तरपुर नायाणं चउइंत कोमलमाइय सोहियं घणसण्हलंबत अशुद्ध निघंटु साहरावित्ताए कुच्छिीओ उत्तरपुरा नायणं चउद्दत कोमलभाइय सोहिय कुंभ घणसण्हलवंत देवी लोलतोय चालिय खोरोयसागार सुमिणं मियमहुरं पिणद्धगोविज्जे दिठ्ठां जोगमुवागएण x ... उवक्खाडावित्ता अभिनंदाणा असमे निरावलवणे वट्टमाणाणंx.... पोतिववणेx.... सुठ्ठिx.... गोयमगोत्तस्स थेरे धणडx.... १२६ लोलतोयं चलिय खीरोयसागरं सुमिणे मियमहर पिणदगेविज्जे दिठ्ठा मारोगा उवक्खडावित्ता अभिनंदमाणा अममे निलावलंबणे सव्वलोए मासे नन्दीवखणे सुठ्ठिय गोयमसगोत्तस्स थेरे सिरितु १८४ १८४ १८७ २०० २८६ २८६ २६२
SR No.035318
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherAmar Jain Agam Shodh Samsthan
Publication Year1968
Total Pages474
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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