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________________ (ख) महावीर चरियं १५५ (ग) त्रिषष्टि० १०॥३७८ २३५ (क) मावश्यक मल ५० २७० (स) महावीर चरियं प० १५६ २३६. (क) आवश्यक मलय० २७२ (स) महावीर चरियं प० १५८१ (ग) त्रिषष्टि० १०३।२१५-२१८ २३७ (क) आवश्यक मल ५० २७३ (ख) महावीर चरियं, गुण० ५० १५६ २३८. (क) आवश्यक मल० ५०२७३ (ख) महावीर चरियं, गुण० ५० १५६ (ग) त्रिषष्टि० १०॥३।२५१ २३१. (क) आवश्यक मलय टीका० २७३३२ (ख) त्रिषष्टि० १०१३३२५५-२६१ २४०. (क) मावश्यक मल० वृ०प० २७३ (ब) महावीर चरियं, गुण. १७६ २४१ (क) आवश्यक मलय वृ० २७३ (ख) त्रिषष्टि०१०।३।२६६ (ग) उत्तरवाचालंतर वणसरे चंडकोसिबो सपो। न ही चिंता सरणं जोइस कोवाऽहिजाओऽहं ।। -आवश्यक नियुक्ति गा. ४६७ २४२. (क) आवश्यक मलय० पृ० १० २७३ (ख) महाबीर चरियं पृ० १७६ (ग) त्रिषष्टि० १०३।२७२ से २७५ २४३. (क) उत्तरवाचाला नागसेण खीरेण भोयणं दिन्नं । सेयवियाए पदेसी पंचरहो णेज्जरायाणो॥ आवश्यक नियुक्ति गा० ४६८ (ख) त्रिषष्टि० १३२८० से २८६ (ग) आवश्यक मलय० वृति०५० २७४११ (घ) महावीर परियं गुणचन्द्र प० १७७१-२ २४. (क) मावश्यक मलय प० २७४।१-२ (ख) महावीर चरियं प० १७८१ (ग) वीरवरस्स भगवतो नावास्तुस्स कासि उवसग्गं । मिच्छादिट्रिपरतो, कंबलसंबलेहि तित्वं च।। -निशीथ भाष्य, गा० ४२१८ पृ० ३६६ तृतीय भाग प्र० सन्मति मानपीठ, आगरा
SR No.035318
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherAmar Jain Agam Shodh Samsthan
Publication Year1968
Total Pages474
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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