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________________ १७५ (क) आवश्यक मल० १० २५८ (ख) त्रिपष्टि० प० १०।२।११२ ११३ ११६-११७ (ग) आवश्यक भाष्य गा० ७५, १०२५८ १७६. उत्तरपुराण ७४।२६५ १७७. त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र १०।२।१२२ १७८. (क) आवश्यक भाष्य गा० ७६-७७ (ख) त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र १०।२।१२९ - १४९ १७६. (क) आवश्यक भाष्य गा० ७६ - ८० (ख) आचारांग, द्वितीय श्रुतस्कन्ध भावनाधिकार सू० ४०० पृ० ३८१ (ग) आवश्यक नियुक्ति पृष्ठ ८५ (घ) आवश्यक हारिभद्रीय टीका १८२-२ (च) आवश्यक मलयगिरिवृत्ति पत्र २५१-२ (ख) महावीर चरियं नेमिचन्द्राचार्य पत्र ३४-१ (ज) महावीर परियं गुणचन्द्र पत्र १३२ (झ) त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र, पर्व १० सर्ग २ श्लो० १५१ - १५४ 7 , १०० (क) विशेषावश्यक भाष्य सटीक पत्र ६३५ (ख) आवश्यक हारि० पत्र ३१२।२ १८१ (क) पद्मपुराण २०६७ (ख) हरिवंश पुराण ६०।२१४ मा० २ १८२ (क) कुमारी युवराजेऽश्ववाहके (ख) अमरकोष, काण्ड १ नाट्यवर्ग श्लोक १२ १८३. आप्टेकृत संस्कृत-इंगलिश डिक्शनरी पृ० ३६३ १८४. आवश्यक नियुक्ति पृ० ३६ गा० २२२ १८५. आवश्यक नियुक्ति, हारिभद्रीय टीका पत्र १८३३१ १०६ (क) कल्पसूत्र सू० ११० (ख) त्रिषष्टि १०।२।१५६ से १६३ १८७ (क) मा क्षारं क्षते निक्षिप कियन्तमपि कालं प्रतीक्षस्व (ख) त्रिषष्टि० १०।२।१६४-१६५ १०. (क) आचारांग प्रथम अध्य० १ गा० ११ (ख) आवश्यक मलयगिरिवृत्ति प० २६०।१ (ग) त्रिषष्टि १०।२।१६७ २५ शब्द रत्न समन्वय कोष पृ० २६८ - आवश्यक मलयगिरिवृत्ति २६० १८९. (क) प्राचीन समय में स्वर्ण एक सिक्का विशेष था, जिसका मान ८० गुंजा प्रमाण अथवा १६ कर्ममाथ (मासा) प्रमाण था । - अनुयोगद्वार टीका, पत्र १५६११
SR No.035318
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherAmar Jain Agam Shodh Samsthan
Publication Year1968
Total Pages474
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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