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स्थचिरापली : विमिस शाखाएँ
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। अजतावस को एत्थ णं
अज्जकुबरा
मल:
थेरस्स णं अजसंतिसेणियस्स माढरसगोत्तस्स इमे चत्तारि थेरा अंतेवासी अहावचा अभिन्नाया होत्था, तं जहा-थेरे अजसेणिए थेरे अन्जतावसे थेरे अज्जकुबेरे थेरे अज्जइसिपालिते। थेरेहितो णं अज्जसेणितेहिंतो एत्थ णं अज्जसेणिया साहा निग्गया। थेरैहितो णं अज्जकुबेरेहिंतो एत्थ णं अज्जकुबेरा साहा निग्गया। थेरेहितो णं अज्जइसिपालेहिंतो एत्थ णं अज्जइसिपालिया साहा निग्गया ॥२१॥
अर्थ--माढरगोत्री स्थविर आर्यसन्तिसेणिय के चार स्थविर पुत्र समान अन्तेवासी थे। जैसे (१) स्थविर आर्यसेणिय (आर्यश्रेणिक) (२) स्थविर आर्य तापस (३) स्थविर आर्य कुबेर (४) स्थविर आर्य इसिपालित (ऋषिपालित)।
स्थविर आर्यसेणिय से यहाँ आर्यसेणिया (श्रेणिका) शाखा निकली। स्थविर आर्य तापस से यहाँ आर्यतापसी शाखा निकली। स्थविर आर्य कुबेर से यहाँ आर्य कुबेरी शाखा निकली। स्थविर आर्य ईसिपालित (ऋषिपालित) से यहाँ आर्य ईसिपालिता (ऋषिपालिता) शाखा निकली। मूल :
थेरस्स णं अज्जसीहगिरिस्स जातीसरस्स कोसियगो. तस्स इमे चत्तारि थेरा अंतेवासी अहावच्चा अभिण्णाया होत्था, तं जहा-थेरे धणगिरी थेरे अज्जवइरे थेरे अज्जसमिए थेरे अरहदिन्ने । थेरेहिंतो णं अज्जसमिएहिंतो एत्थ णं बभदेवीया साहा निग्गया । थेरेहिंतो णं अज्जवइरेहितो गोयमसगोत्तेहिंतो एत्थ णं अज्जवइरा साहा निग्गया ॥२२०॥