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- आर्य स्थूलिभद्र मल:
थेरस्स णं अज्जथूलभदस्स गोयमगोत्तस्स इमे दो थेरा अहावचा अभिन्नाया होत्था, तं जहा-थेरे अज्जमहागिरी एलावच्छसगोत्ते, थेरे अज्ज सुहत्थी वासिहसगोत्ते । थेरस्स णं अज्जमहागिरिस्स एलावच्छसगोत्तस्स इमे अह अंतेवासी अहावच्चा अभिन्नाया होत्था, तं जहा-थेरे उसरे थेरे बलिस्सहे थेरे धणड्ढे थरे कोडिन्न थेरे नागे थेरे नागमित्ते थेरे छलुए रोहगुत्ते कोसिए गोत्तेणं । थेरेहिंतो णं छलुएहितो रोहगुत्ते हितो कोसियगोत्तेहिंतो तत्थ णं तेरासिया निग्गया। थेरेहिंतो णं उत्तरबलिस्सहेहितो तत्थ णं उत्तरबलिस्सहगणे नामं गणे निग्गए । तस्स णं इमाओ चत्तारि साहाओ एवमाहिज्जति, तं जहा-कोसंबिया सोतित्तिया कोडवाणी चंदनागरी ॥२६॥
अर्थ-गौतम गोत्रीय आर्य स्थूलिभद्र, स्थविर के पुत्र समान एवं प्रख्यात ये दो स्थविर अन्तेवासी थे
जैसे कि-एक ऐलावच्च (एलावत्स) गोत्रीय स्थविर आर्य महागिरि, और दूसरे वसिष्ठ गोत्रीय स्थविर आयं सुहस्ती। ऐलावच्चगोत्रीय स्थविर आर्य महागिरि के पुत्र समान प्रख्यात ये आठ स्थविर अन्तेवासी थे । जैसे-(१) स्थविर उत्तर, (२) स्थविर बलिस्सह, (३) स्थविर धणड्ढ (धनाढ्य), (४) स्थविर सिरिड्ढ (श्रीआळ्य), (५) स्थविर कोडिन्न (कौडिन्य), (६) स्थविर नाग, (७) स्थविर नागमित्त (नागमित्र), (८) षडुलूक, कौशिकगोत्रीय स्थविर रोहगुप्त।
कौशिक गोत्रीय स्थविर षडुलूक रोहगुप्त से राशिक सम्प्रदाय निकला। स्थविर उत्तर से और स्थविर बलिस्सह से 'उत्तरबलिस्सह" नामक गण