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________________ २८० (8) अचलमाता-ये कोशला ग्राम के निवासी २ हारीत गोत्रीय ब्राह्मण थे। आपके पिता वसु५४ और माता नन्दा थी।५५ तीन सौ छात्रों के साथ छयालीस वर्ष की अवस्था में श्रमणत्व स्वीकार किया। बारह वर्ष तक छद्मस्थावस्था मे रहे और चौदह वर्ष केवली अवस्था में विचरण कर, बहत्तर वर्ष की५७ अवस्था में मासिक अनशन के साथ राजगृह के गुणशील चैत्य में निर्वाण को प्राप्त हुए। (१०) मेतार्य-ये वत्सदेशान्तर्गत तुगिक सनिवेश के निवासी५८, कौडिन्य गोत्रीय ब्राह्मण थे ।५९ इनके पिता का नाम दत्त था और माता का नाम वरुणदेवा था।६। इन्होंने तीन सौ छात्रों के साथ छत्तीस वर्ष की ६२ अवस्था में दीक्षा ग्रहण की। दस वर्ष तक छद्मस्थावस्था में रहे, और सोलह वर्ष तक केवली अवस्था में रहे। भगवान् महावीर के निर्वाण से चार वर्ष पूर्व बासठ वर्ष की अवस्था में, राजगृह के गुणशील चैत्य में निर्वाण हुआ। (११) प्रभास-ये राजगृह के निवासी ४, कौडिन्यगोत्रीय ब्राह्मण थे।६५ इनके पिता का नाम 'बल'६६ और माता का नाम 'अतिभद्रा' था।" इन्होंने सोलह वर्ष की अवस्था में श्रमण धर्म स्वीकार किया, आठ वर्ष तक छद्मस्थावस्था में रहे और सोलह वर्ष तक केवली अवस्था मे। भगवान् महावीर के सर्वज्ञ जीवन के पच्चीसवें वर्ष में गुणशील चैत्य में मासिक अनशन पूर्वक चालीस वर्ण को अवस्था में निर्वाण प्राप्त किया। इन ग्यारह ही ब्राह्मण विद्वानों ने भगवान के द्वितीय समवसरण पावा में दीक्षा ग्रहण की और सभी गणधर के महत्त्वपूर्ण पद पर प्रतिष्ठित मल: सव्वे एए समणस्स भगवओ महावीरस्स एक्कारस वि गणहरा दुवालसंगिणो चोदसपुग्विणो समत्तगणिपिडगधरा रायगिहे नगरे मासिएणं भत्तिएणं अपाणएणं कालगया जाव सब्बदु.
SR No.035318
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherAmar Jain Agam Shodh Samsthan
Publication Year1968
Total Pages474
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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