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नागरीप्रचारिणी पत्रिका हे ब्रह्मन् ! हो राष्ट्र हमास, विश्वशिरोमणि भारत प्यारा ।
हों बुध ब्रह्मवर्चसी ब्राह्मण, महारथी राजन्य विचक्षण, साध्वी वीरप्रसू महिलागण, विजयी वीर सभेय युवकगण, ,
हो सब सभ्य समाज हमारा । शूर इषव्य रथेष्ठ सुलभ हों, . दोग्ध्री धेनु बलिष्ठ वृषभ हो.. द्रुतगति अश्व वायु-सन्निभं हों, समय-समय पर घन-युत नभ हो, बरसावै मधु-मधु जलधारा ।
अन्नौषधि वैभव अनंत हों, द्रुम-दल विलसित दिग्-दिगंत हों, नर-नारी सब तेजवंत हो, दिव्य भाव दिशि-दिशि ज्वलंत हों,
हो शुभ योग-क्षेम हमारा । (पं० द्विजेन्द्रनाथजी कृत पद्यानुवाद)
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