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लम्प्लक्स से प्राप्त भारत - लक्ष्मी की मूर्ति
[ लेखक - श्री वासुदेवशरण अग्रवाल ]
लम्प्स्क्स एशिया माइनर के उत्तर-पश्चिमी कोने के माइसिया जिले में एक प्राचीन स्थान था । उसकी ठीक स्थिति गैलीपाली के सामने समुद्र-तट पर थी । अर्वाचीन काल में लप्स्की ग्राम उस स्थान का सूचक है । यहाँ पर एक सुदर प्राचीन चाँदी की तश्तरी प्राप्त हुई थी, जो इस समय इस्तांबूल के संग्रहालय में सुरक्षित है। यह लगभग विक्रम की प्रथम द्वितीय शताब्दी को है।
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यह स्थान किसी समय यूनानी उपनिवेश था और यहाँ के बने हुए चाँदी के पात्र दूर दूर तक प्रसिद्ध थे। सीरिया को अंतियोक नामक नगरी अपने रुक्म- पात्रों के लिये प्रसिद्ध थी । महाभारत के सभापर्व में इस दूसरी पुगे को अंताखी कहा गया है। सम्राट अगस्टस् के समय ( वि०-७१ = १४ ई० ) एशिया माइनर रोम साम्राज्य का अंग हो गया था ।
लम्प्सस की चाँदी की तश्तरी रजत -शिल्प का एक सुंदर नमूना है । परंतु भारतवासियों के लिये इसका विशेष महत्त्व इसलिये है कि उस पर भारतमाता या भारत लक्ष्मी का एक सुंदर चित्र अंकित है। इसका शिल्पी कोई यूनानी रहा होगा । उसने भारत की व्यापार-कीर्ति की चर्चा से आकर्षित होकर भारत-लक्ष्मी की कल्पना एक सुंदर स्त्री के रूप में की है, जिसकी भव्य मुखाकृति पर कलाकार के कौशल को छाप स्पष्ट है। शिल्पी ने तत्कालीन रोमदेशीय संभ्रांत महिला के रूप में भारत माता का चित्रण किया है, परंतु वेष-भूषा और अलंकरण भारतीय अनुश्रुति से लिए गए हैं। स्त्री के सिर के उष्णीष से दो खूँटियाँ जैसी ऊपर को निकली हुई हैं। भारत-लक्ष्मी हाथीदाँत के बने हुए एक आसन पर बैठी है। इन दोनों विशेषताओं को देखकर इस संबंध में उपायनपर्व में रोमश पुरुषों का वर्णन ध्यान में आता है
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