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________________ पाप का एक अध्ययन १६५ है। लासबेला में भी वही दशा है । है । ऐसी भौगोलिक स्थिति में वे मौसम बहुत ही रूखा है तथा कुँ श्रों (करेज ) से सिंचाई का काम लिया जाता पोरालो नदी में थोड़ा-बहुत पानी रहता जातियाँ, जिनका महाभारतकार ने वर्णन किया है, रहती थीं। वैरामक – ( सभा, ४७|१० ) इनका उल्लेख महामायूरी ( ४८/१; ज० ए० भाग २, १९१५, पृ० ९४ ) में आता है। इस उल्लेख से सिवा इसके कि वे सिंध के पार रहते थे और कुछ भी पता नहीं लगता । वैरामकों के संबंध में मी भौगोलिकों से हमें सहायता मिलती है । इसके लिये हमें यह जानने की आवश्यकता है कि सिकंदर के वापसी रास्ते की छानबीन करें । कार्मानिया जाते हुए सिकंदर दक्षिणी बलूचिस्तान से गुजरा और उसने ओरोभाइतार लोगों के देश पर कब्जा कर लिया (एरियन, ऐना० ६ २१-२२ ) । अरबियो नदी को पार कर सिकंदर प्रोलोताई लोगों की राजधानी में पहुँचा जिसका प्रधान नगर दुप था रंका था । यहाँ उसने बर्बर जातियों को पराजित किया । यह विचारणीय बात है कि विद्वानों ने दो बर्ष र जातियों-अरब्बी तथा ओराइताइ लोगों को सिंध नदी के पश्चिम में रखा है। एरियन (इंडिका २२ ) के अनुसार अरबियों का प्रदेश भारतवर्ष की पश्चिमी सीमा के अंत में था । स्ट्राबो ( १५/२१ ) इसे भारतवर्ष का एक भाग मानता है, लेकिन सिवा कर्तियस के ( ९।१०,३३) जो ओराइताइ को भारतवर्ष में रखता है, ये दोनों उसका नाम भी नहीं लेते। श्रराइताई जिनकी राजधानी का नाम बकिया था, होल्डिश के अनुसार आधुनिक मकरान के होत थे, जिनका ( बलूचिस्तान गजेटियर भा० ७, पृ० ९४ ) । अरबों का निवास-स्थान अरबी नदी पर था जिसका आधुनिक नाम पोराली है ( कनिंघम, वही पृ० ३४९-५०)। राइता की व्युत्पत्ति अघोर नदी से करते हैं (वही, ३५३-५४ ) । नदी पर के हिंदू तीर्थ रामबाग से पुरानी रंबकिया की तुलना करते हैं । ओराइता की पश्चिमी सीम्मा, निधर्कस के अनुसार (वही, ३५४-५५ ) मलन के पास थीं, जिसकी पहचान कनिंघम ने मलन की खाड़ी से की है। होल्डिश के अनुसार र' बकिया (वही, पृ० १५०, १५१) खैरकोट का पुराना नाम था जिसकी स्थिति लियारी से उत्तर पश्चिम हाला दर्रे के पास है । इन सब मतों से घम Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035307
Book TitleVikram Pushpanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalidas Mahakavi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1944
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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