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________________ सपायनपर्व का एक अध्ययन बहुत प्राचीन है। वे वृष्णियों के एक अंग थे। मेगस्थनीज ( पंश्यंट इंडिया, पृ०७९) ने कुकुरों का एक विचित्र वर्णन दिया है। इस वर्णन में कुकुरों को पर्वतवासी कहा है, और यह भी कि उनके सिर कुत्तों के होते थे, तथा वे जंगली समूर पहनते थे; कुत्तों की तरह भूकते थे तथा शिकार पर अपना जीवननिर्वाह करते थे। यह तो साफ ही है कि कुकुर शब्द का अर्थ कुत्ता होता है। उसके अर्थ को लेकर कुकुरों को कुत्ते का रूप दिया गया है। वासिष्ठीपुत्र पळुमायि के अभिलेख में भी (नासिक-गुफालेख स० २, आ० स० ३० ई०, भा० ४, पृ० १०८-९) उनका. उल्लेख है, जहां उनकी स्थिति अपरांतों के बगल में है। यह तो ठीक ठीक नहीं कहा जा सकता कि प्राचीन कुकुरों के माधुनिक वशज कौन हैं, फिर भी यह अनुमान किया जा सकता है कि आधुनिक पंजाब की खोखर या खोखुर जाति से उनका घनिष्ठ संबध रहा हो। खोखर झेलम तथा चिनाव की घाटियों में और भंग तथा शाहपुर जिले में पाए जाते हैं। थोड़ी संख्या में खोखर निचले सिध तथा सतलज और झेलम-सतलज के पहाड़ी हिस्से में भी पाए जाते हैं। गुजरात तथा स्यालकोट के खोखरों में यह अनुश्रुति है कि वे पहले घड़खरोना में बसे थे और तैमूर के आक्रमण के बाद वहाँ से हटे। अकबर के समय वे होशियारपुर की दसूय तहसील में बसे थे। ५० गांवों के समूह को वे खोखरैन कहत हैं। ३ को छोड़कर ये सब गाँव कपूरथला रियासत में हैं (रोज, वही, जिल्द २, पृ० ५३९) । खोखरों की उत्पत्ति के बारे में ठीक ठीक नहीं कहा जा सकता। झेलम जिले में वे राजपूतों को अपना पुरखा मानते हैं। भरत और जसरथ नाम के दो राजपतों से अपना उद्गम मानते हैं (वही, पृ० ५३९, ५४०)। कुछ खोखर अपना संबध ईरानी बादशाहों से बतलाते हैं (वही, पृ० ५४१-४३)। दूसरी श० ई०. पूल में उनका स्थान कोन था यह ठीक ठीक नहीं कहा जा सकता, लेकिन अगर उनका और वृष्णियों का परंपरागत संबंध ठीक माना जाय तो वह शायद होशियारपुर जिले में है। यह वृष्णियों के एक द्विभाषी सिक्के पर आश्रित है जो होशियारपुर जिले में पाया गया था। कारस्कर-(सभा० ४६, २१) इनका वर्णन बौधायन धर्मसूत्र (१, २, १४) में भी भाता है। बौधायन ने रट्ट, कारस्कर, पुंछ, सौवीर, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035307
Book TitleVikram Pushpanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalidas Mahakavi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1944
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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