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________________ १२८ नागरीप्रचारिणी पत्रिका लाग-डॉट थी। इस आपसी वैर में उत्तमभद्रों ने विदेशी शहरातों से सहायता की पुकार की। शकों ने उत्तमभद्र का पक्ष लेकर मालवों को दबाया। इस घटना का उल्लेख क्षहरातवशीय क्षत्रप नहपान के जामाता उषवदात के लेख में इस प्रकार आया है __ गतोस्मि वर्षा-स्तु मालयेहि......हि रुधं उतमभाद्रं मोचयितु ते च मालया प्रनादेनेव अपयाता उतमभद्रकानं च क्षत्रियानं सर्वे परिग्रहा कृता अर्थात् 'इस वर्षा-ऋतु में मालवों से छेके हुए उत्तमभद्रों को छुड़ाने के लिये मैं गया। वे मालव मेरी हुंकार से ही भाग गए और उत्तमभद्र क्षत्रियों को मैंने सब प्रकार से सुरक्षित कर दिया। इतना करने के बाद पुष्कर में जाकर मैंने स्नान किया और ब्राह्मणों को अनेक दान दिए।' (ए० ई० ८।७८) अनुमान होता है कि उत्तमभद्र अजमेर-पुष्कर के इलाके में थे। .. इस शिलालेख से यह सिद्ध होता है कि मालवों पर घोर संकट आया । इस स कट से अपनी रक्षा करने के लिये स्वतत्रता के अभिमानी मालवगण ने अवश्य ही अपना सगठन दृढ़ किया होगा। विदेशी आक्रमणकारियों से सुराष्ट्र और स्वधर्म की रक्षा के लिये देश के अन्य क्षेत्रों में भी एक प्रबल भावना जाग्रत हुई होगी। इस बात का निश्चित अनुमान करने का हमारे पास कारण यह है कि केवल दो पीढ़ी राज्य करके मथुग और सुराष्ट्र के शहरात शकों का अंत हो गया, जिससे इतिहास में आगे उनका कोई चिह्न शेष नहीं रह गया। इस कशमकश और विदेशियों के साथ भिड़त में एक महाप्रतापी सम्राट का नाम सामने आता है। उन्होंने जो अतुल पराक्रम किया उसकी उपमा में पूर्व काल और उत्तरकाल के बहुत ही कम विजेता रखे जा सकते हैं। ये सम्राट् दक्षिणापथेश्वर सातवाहनव शीय राजराज गौतमीपुत्र श्री शातकर्णि थे। हमारे सौभाग्य से इनकी माता महादेवी गौतमी बालश्री का एक लेख* नासिक की गुफा में सुरक्षित रह गया है, जिसमें महाराज शातकर्णि के पराक्रम और दिग्विजय का अभूतपूर्व चित्र प्राप्त होता है। 'महाराज गौतमीपुत्र हिमवान् , सुमेरु और मंदराचल पर्वतों के समान सारयुक्त थे। पराक्रम में वे * यह शिलालेख इसी अंक में अन्यत्र प्रकाशित है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035307
Book TitleVikram Pushpanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalidas Mahakavi
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1944
Total Pages250
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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