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________________ ( ५७ ) ॥ अथ षष्ठी अक्षत पूजा ॥ : दोहा : षष्ठी अक्षत पूजना, अक्षय पद दातार । भावे सद्गुरू पूजिये, अक्षत पूजा सार ॥ अहमदाबाद पधारिया, मुनि सम्मेलन थाय • नेमि सूरि संग आपको, सफल श्रेय मिल पाय ॥ विद्यालय महावीर का, आद्य प्रेरक गुरु राय । अमृत काली दास भी, भक्ति रंग रंगाय ॥ जन्म शताब्दी आतम की, बड़ौदा उजवाय । सादड़ी से लब्धि सूरि, अनुमोदन फल पाय ॥ शास्त्री ईश्वरानंदजी, हीरानन्द संग थाय । शास्त्री पंडित हँस भी सद्गुरु के गुण गाय ॥ प्रज्ञा चक्षु न्याय के, पंडित श्री सुखलाल । महिमा गुण वर्णन करे, बड़ौदा तत्काल ॥ कस्तूर ललित उमंग संग, विद्या सूरि कहाय । लाभ प्रेम सब विजय पद, सूरि पाठक पद पाय । शकुन्तला कान्ति भाई, सच्चे मोती बधाय । डाक्टर राजेन्द्र तभी, दर्शन कर हर्षाय ॥ कस्तूर भाई सेठ करे, जैनी आगेवान | उद्घाटन कॉलेज का, अम्बाला सन्मान ॥ वंदन विधि पूर्वक करे, गुरु का दर्शन पाय । गरुभक्ति पंजाब की, निरखत हर्ष मनाय ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035306
Book TitleYugpravar Shree Vijayvallabhsuri Jivan Rekha aur Ashtaprakari Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Daga
PublisherRushabhchand Daga
Publication Year1960
Total Pages126
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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