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विक्रम रवि ऋद्धि निधि शशिराय, मिगसर सुदी पंचमी सुखदाय । साढ़े सात बजे जब थाय, आचारज पदवी पाने वाले ॥१॥
गुरु गुण छत्रीस के धरनार, युग प्रधान सूरि सुखकार । विजयानन्द सूरि पट्टधार, वीर का पाट दीपाने वाले ||२|| लाहौर ठाठ महोत्सव भारी, निरखत आवे सब नर नारी । पाठक पद सोहन गणिधारी, धर्म की शान बढ़ाने वाले ॥३॥ मोतीलाल मूलजी आवे, दुगड़ माणकचन्द खुश थावे । मंगत राम सूरि गुणगावे, गुरु भक्ति फल पाने वाले ||४|| * सुराणा शिवचन्द सुत आवे, रामपुरिया उदयचन्द भावे । डागी बाई मन हर्षांवे, गुरु मर्यादा पालन वाले ॥५॥ छगन भाई कालीदास, मगन भाव नगर का खास । टीकमचन्द जौहरी भयो दास, गुरु भक्ति गुण गाने वाले ॥६| काठियावाड़ कच्छ गुजरात, पंजाब यू० पी० मरुधर भ्रात । आतम पट्टधर के गुण गात प्रतिष्ठा पर सब आने वाले ॥७॥ ओसियाँ जैन मण्डल सुखकारा, मेवाड़ दक्षिण नमे भवि प्यारा ।। बाजे बैण्ड अति स्वर सारा, भक्ति धूम मचाने वाले ॥जा शहर पिचयासी नर नारी औच्छब आचारज पदभारी । करते भक्ति भाव विचारी, जिन शासन को दीपाने वाले ||१|| वादी तर्क निपुण अविकारा, सत्य उपदेश के गुरू कथनारा । बुद्धि वैभव का भण्डारा, ज्ञानी ज्ञान सुनाने वाले ॥१०॥ * बाबू श्री सुमेरमल सुराना
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