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________________ ( २८ ) मन वच काया वश करो, साधे मोक्ष रन्न त्रयी आराधता, नमो नमो मुनि क्रोध लोभ मद मोह तज, तज दिनो श्रमण तपो धन यति व्रति, दया तणा करते लूंचन केश का, प्रासुक जल सद्गुरु मुनि वल्लभ विजय करते पाद " ( चाल - पणिहारी की ) भवि सद्गुरु पूजन करो म्हारा व्हालाजी । बालावय तोक्षण बुद्धि म्हारा व्हालाजी, जो भव तारणहार व्हालाजो ||आ देते हर्ष विजय गुरू म्हारा व्हालाजी, अध्ययन लगन अपार व्हालाजी । चार्तुमास प्रथम किया म्हारा व्हालाजी, सुपाथ । नाथ ॥ अनुपम ज्ञान का सार व्हालाजी ||१|| चन्द्रिका पूर्वाद्ध का म्हारा व्हालाजी, घरबार 1 भण्डार ॥ व्यवहार । विहार ॥ राधनपुर में खास व्हालाजी । मांडल सद्गुरू पहुंचते म्हारा व्हालाजी, आप किया अभ्यास व्हालाजी ॥२॥ खीमचन्द दर्शन करे म्हारा व्हालाजी, विजयानन्द के लार व्हालाजी । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat साथ सहु परिवार व्हालाजी ॥३॥ www.umaragyanbhandar.com
SR No.035306
Book TitleYugpravar Shree Vijayvallabhsuri Jivan Rekha aur Ashtaprakari Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Daga
PublisherRushabhchand Daga
Publication Year1960
Total Pages126
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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