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( १३ ) चन्द मोदी, लाला काशीराम अग्रवाल, मुंशी राम जरगर, आदि हिन्दू मालेर कोटला के भी गुरु महाराज के खास भक्त बने । तथा हजारों हिन्दू, मुसलमानों को माँस मदिराका त्याग कराकर जैन धर्म की ओर आकर्षित किया।
आपने स्वयं खादी धारण कर अनेक व्यक्तियोंको 'अहिंसा की दृष्टि से खादी का प्रयोग करना उत्तम है,' ऐसा बताकर खादी अपनाने की प्रतिज्ञा करवाई तथा स्वयं की मातृभाषा गुजराती होते हुये एवं संस्कृत प्राकृत के प्रकांड विद्वान होते हुए भी भगवान महावीर की लोकभाषा के सिद्धान्त को प्रश्रय देते हुए आपने जितने भी ग्रन्थ लिखे, वे सब हिन्दी में ही लिखे तथा जितनी भी काव्य रचनाएँ की वे सब की सब हिन्दी में ही की थी एवं साथ-साथ जहाँ कहीं भी भाषण देते वहाँ पर हिन्दी में ही भाषण देकर तथा हिन्दी में साहित्य के प्रकाशन पर बल देकर धर्म के साथ-साथ राष्ट्र की भी सेवा की। आज तो भारत के विधान में भी हिन्दी को राष्ट्र भाषा का स्थान प्राप्त हो चुका है । यह सब आपकी दूरदर्शिता की विजय कही जाय तो किंचित मात्र भी अतिशयोक्ति नहीं होगी।
आप सर्वदा अयोग्य दीक्षाओं के विरोधी थे, जो लोग संरक्षकों की अनुमति बिना बच्चों को भगाकर लुक छिपकर दीक्षित करते थे उसका घोर विरोध किया तथा फरमाया कि संरक्षकों की अनुमति तथा श्री संघ की आज्ञा बिना दी जाने वाली दीक्षाओं को अयोग्य ठहराया जाय । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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