SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 28
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ न पु० आचार्य श्री के शिष्य-प्रशिष्यों के अतिरिक्त आज्ञानुवतीं साधु : पुज्यपाद स्वर्गस्थ आचार्य देव १००८ श्री मद् विजय कमल सूरीश्वरजी महाराज के शिष्य-प्रशिष्यादि : १ मुनि श्री हिम्मत विजय जी महाराज x २ पन्यास श्री नेमविजय जी महाराज ३ मुनि श्री उत्तमविजय जी महाराज ४ पन्यास श्री चन्दनविजय जी महाराज ५ मुनि श्री अमृतविजय जी महाराज पुज्यपाद स्वर्गस्थ प्रवर्तक श्री कान्तिविजय जी महाराज के शिष्य प्रशिष्यादि : १ मुनि श्री भक्ति विजय जी-महाराज x २ मुनि श्री चतुरविजय जी महाराज x ३ मुनि श्री अनंगविजय जी महाराज x ४ मुनि श्री लाभविजय जी महाराजx ५ मुनि श्री दुर्लभविजय जी महाराज x ६ मुनि श्री मेघविजय जी महाराज ७ आगम प्रभाकर मुनि श्री पुण्यविजय जी महाराज ८ पन्यास श्री दर्शन विजयेजी महाराज है मुनि श्री जयभद्र विजयजी महाराज १० मुनि श्री चन्द्रविजयजी महाराज ११ मुनि श्री चरणविजयजी महाराज Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035306
Book TitleYugpravar Shree Vijayvallabhsuri Jivan Rekha aur Ashtaprakari Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhchand Daga
PublisherRushabhchand Daga
Publication Year1960
Total Pages126
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy