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[ द ] जाहिर कर मेरे उत्साह में वृद्धि की परन्तु कतिपय मित्रों की यही राय रही कि इस पुस्तक का प्रथम संस्करण का प्रकाशन कलकत्ते जैसी बड़ी नगरी में मेरी देखरेख में हो, इसीलिए इसे यहीं से प्रकाशित किया गया । __ प्रस्तुत पुस्तक का खर्च एक प्रति पर ७५ नये पैसे लगभग आया है परन्तु प्रचार एवं सदुपयोग की दृष्टि से इस पुस्तक का मूल्य केवल ३१ नया पैसा रखा गया है ताकि उक्त आवक की रकम का इस पुस्तक के दूसरे संस्करण या अन्य प्रकाशन में उपयोग किया जा सके।
अन्त में आशा करता हूँ कि मेरी पूर्व रचनाओं की भाँति समाज इस रचना द्वारा लाभ उठाकर मेरे प्रयत्न को सफल करेगा।
इति शुभम् स्थान :
स्तपुरुष चरणेच्छु २६।१ सर हरिराम गोयनका स्ट्रीट, ऋषभचन्द डागा कलकत्ता-७।
१-२-१९६०
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