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________________ गणतन्त्र राज्यः आदि पुरुष श्री ऋषभदेव जी के पुत्र प्रथम चक्रवर्ती जैन सम्राट् भरत के नाम पर भारतवर्ष कहलाने वाला' हमारा पवित्र देश १५ अगस्त १९४७ को स्वतन्त्र और २६ जनवरी १९५० को Sovereign Democratic Republic हो गया है । इस राज्य की नियुक्ति ही अहिंसा सिद्धान्त पर स्थिर है । राष्ट्रपति डा. राजेन्द्रप्रसादजी और प्रधान मन्त्री पं. जवाहरलालजी नेहरू ने इस सत्य की घोषणा भी कई बार की कि हम अहिंसा सिद्धान्त के विश्वासी महात्मा गाँधी जी के बताये हुए अहिंसा मार्ग पर चलेंगे। जिस पक्षपात को मिटाने और ऊँच-नीच के भेद को नष्ट करने का यत्न भ० महावीर ने किया था, उसीको दूर करने के लिए भारत सरकार ने रायबहादुर, खानबहादुर आदि की पदवियों को समाप्त करके छोटे-बड़े सबके लिए एक शब्द 'श्री' निश्चित करके श्री महाराजा भोज और श्री गङ्गातेली में समानता की स्थापना करदी। अगरेजी राज्य में सरकारी ऑफिसर और पुलिस जनता से मन-माना व्यवहार करते थे, हमारी सरकार ने आज्ञापत्र निकाल कर घोषणा कर दी, "बड़े से बड़ा कर्मचारी भी जनता का छोटा सा सेवक है, इस लिये किसी को नीच या छोटा न समझो, सबके साथ प्रेम व्यवहार करो" । इनके अहिंसामयी कार्यों का इतना प्रभाव पड़ा कि हिंसा में विश्वास रखने वाले भी अहिंसा को अपनाने लगे | Hydrogen Bombs के बनाने वाले अमेरिका के प्रेजीडेण्ट Eisenhower तक को स्वीकार करना पड़ा, "संसार में सुख और शान्ति भयानक हथियारों से नहीं बल्कि अहिंसा द्वारा प्राप्त हो सकती है" । लन्दन के House of Commons के प्रसिद्ध मेम्बर Lord Fenner Brockway ने भारत को अहिंसा का दृढ़ श्रद्धानी १-२ इसी ग्रन्थ का पृ० ४१०, ३५२ । [ ५०३ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035297
Book TitleVardhaman Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambardas Jain
PublisherDigambardas Jain
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size134 MB
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