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________________ खींचने की चेष्टा करना है' । भ० महावीर वहां गन्धकुटी पर विराजमान होते हैं, उसके स्थान पर हम घरूण्डी (हटडी रखते हैं । वीर निर्वाण के उत्सव में देवों ने रत्न बरसाये थे, उसके स्थान पर हम खील पताशे बांटते हैं । उस समय के राजाओं-महाराजाओं ने वीर निर्वाणके उपलक्ष में दीपक जलाकर उत्सव मनाया था, उसके स्थान पर हम दीपावली मनाते हैं । यह हो सकता है कि अमावस्या की शुभ रात्रि में महर्षि स्वमी दयानन्द जी स्वर्ग पधारे, श्रीरामचंद्र जी अयोध्या लौटे या औरों के विश्वास के अनुसार और भी शुभ कार्य हुए हों, परन्तु इस पवित्र त्योहार पर होने वाली क्रियाओं और विचार पूर्वक खोज करने से यही सिद्ध होता है कि दीपावली वीर-निर्वाण से ही उनकी यादगार में आरम्भ होने वाला पर्व है, , जैसे कि लोकमान्य पं० बालगङ्गाधर तिलक, डा० रवीन्द्रनाथ 'टैगौर आदि अनेक ऐतिहासिक विद्वान् स्वीकार करते हैं । ' ५ केवल दीपावली का त्योहार ही नहीं, बल्कि भ० महावीर की स्मृति में सिक्के ढले गये । वर्द्धमान नाम पर वर्धमान और वीर नाम पर वीर भूमि नाम के नगर आज तक बङ्गाल में प्रसिद्ध हैं" । विदेह देश में भ० महावीर का अधिक विहार होने के कारण उस प्रान्त का नाम ही बिहार प्रान्त पड़ गया । भारत के १-४, जैन प्रचारक (जैन यतीमखाना दरियागंज, देहली) अक्तूबर १६४० पृष्ठ १३ । ५. i. Prof. Dr. H. S. Bhattacharyr : Lord Mahavira . P. 36, ii. shri. P. K. Gode: Mahavira's Commemoration Vol. I. P49. iii. Stenvenson : Encyclopedia of Religion & Ethics Vol V, P. 825. ६. भ० महावीर (कामताप्रसाद जी ) पृ० २३५, वीर. वर्ष ३, पृ० ४४२, ४६७ । ७. श्री नगेन्द्रनाथ बोस ः बङ्गाल विश्वकोष १६२१ । ८, जैन मित्र (सूरत) वर्ष २३, पृ० ५४३ | ३६८ ] Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035297
Book TitleVardhaman Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambardas Jain
PublisherDigambardas Jain
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size134 MB
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