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________________ महाराजा चेटक पर वीर प्रभाव वैशाली के राजा चेटक इक्ष्वाकु वंश के क्षत्रिय-रत्न थे । वह थे बड़े पराक्रमी और वीर योद्धा । सुभद्रा देवी इनको रानी थी। वे दोनों इतने पक्के जैनी थे कि इन्होंने संकल्प कर रक्खा था कि अपनी पुत्रियों का विवाह अजैन से नहीं करेंगे । जिनेन्द्र भगवान की पूजा-भक्ति तो वह रणभूमि तक में नहीं भूलते थे । उनके धन, दत्तभद्र, उपेन्द्र, सुदत्त, सिंहभद्र, सुकुन्भोज, अकम्पन, सुपतंग, प्रभंजन और प्रभास नाम के दश पुत्र और त्रिशलाप्रियकारिणा, मृगावती, सुप्रभा, प्रभावती, चेलना, ज्येष्ठा और चन्दना नाम की सात पुत्रियाँ थीं। त्रिशला-प्रियकारिणी कुण्डपुर के राजा सिद्धार्थ से ब्याही थी और श्री वर्द्धमान महावीर जी की माता ही थी । मृगावती कौशाम्बी के राजा शतानीक की रानी थीं सुप्रभा दशार्ण देश के राजा दशरथ से ब्याही थी। प्रभावती सिंधुसौवीर अथवा कच्छ देश के महाराजा उदयन की महारानी थीं। चलना जी मगध के सम्राट श्रेणिक बिम्बसार की पटरानी थी कि जिनके प्रभाव से महाराजा श्रोणिक बौद्धधर्म छोड़कर जैनी होगया था। सति चन्दना देवी और ज्येष्ठा आजन्म ब्रह्मचारिणी रही थी। यह सारा परिवार जैनधर्मी था, ज्येष्ठा, चन्दना और चेलना तो भ. महावीर के सङ्घ में जैन साधुका होगई थी। ___ जब भ० महावीर का समवशरण वैशाली आया तो चेटक ने पूछा, मनुष्य बलवान अच्छा है या कमजोर ? वीरवाणी में उन्होंने सुना, "दयावान और न्यायवान का बलवान होना उचित है ताकि वह अपनी शक्ति से दूसरों की सहायता और रक्षा कर सके, परन्तु पापियों, अत्याचारियों और हिंसकों का कमजोर होना ही ठीक है ताकि वह दूसरों पर अत्याचार न कर सकें।" महाराजा चेटक पर भ० महावीर का इतना प्रभाव पड़ा कि वे समस्त राजसुखों को लातमार कर वह जैन साधु हो गये । ३६० ] Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035297
Book TitleVardhaman Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambardas Jain
PublisherDigambardas Jain
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size134 MB
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