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________________ रचा' ? उत्तर में उन्होंने सुना कि ज्योतिष देवों के इन्द्र चन्द्रमारे ने अपने अवधिज्ञान से भ० महावीर का केवल ज्ञान जान कर अपने सब देवताओं की सहायता से यह समवशरण रचा है। गौतम स्वामी ने पूछा, चन्द्रमा कौन था ? और किस पुण्य के कारण वह चन्द्रमा नाम का देवता हुआ ? उत्तर में उन्होंने सुना कि श्रावस्ती नाम के नगर में अङ्कित नाम का एक साहूकार रहता था। तेईसवें तीर्थकर पार्श्वनाथ भगवान् के उपदेश से प्रभावित होकर वह जैन मुनि हो गया और उसने घोर तप किया, जिसके फल से वह आज स्वर्ग में चन्द्रमा नाम का देव हुआ। वहां से वह विदेह क्षेत्र में जन्म लेकर मोक्ष प्राप्त करेगा। भगवान् के इतने जबरदस्त ज्ञान को देख कर कट्टर ब्राह्मण इन्द्रभूति पर बड़ा प्रभाव पड़ा और उसका तथा उसके भाईयों का मिथ्यात्व रूपी अंधेरा नष्ट होंगया। वह बार-बार उस बूढ़े ब्राह्मण को धन्यवाद देते थे कि जिन की बदौलत आज उनको सच्चे धर्म और सच्चे ज्ञान का वह अनुपम मार्ग मिला कि जिसको ढूढने के लिये उन्होंने वर्षों से घर बार छोड़ रखा था। भगवान महावीर के तेज और अनुपम ज्ञान से प्रभावित हो कर इन्द्रभूति गौतम अपने दोनों भाईयों और पांच सौ चेलों सहित जैन साधु हो गए। ___ इन्द्रभूति गौतम बुद्धिमान तो थे ही, सम्यग्दर्शन की प्राप्ति हो जाने से वे इतने ऊंचे उठे कि बहुत जल्दी भगवान महावीर के सबसे बड़े गणधर (Chief Pontiff) बन गये। उसके भाई और चेले भी उस समय के माने हुए विद्वान थे। चुनांचे इन्द्रभूति, उस के दोनों भाई अग्निभूति और वायुभूति तथा पांच सौ चेलों में से सुधर्म, मौर्य, मौएड, पुत्र, मैत्रेय, अकंपन, अधवेल तथा प्रभास ये ११ भी भगवान महावीर के गणधर बन गये। १-३, बत्तीस स्तोत्र, पृ० ६३ । [ ३३७ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035297
Book TitleVardhaman Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambardas Jain
PublisherDigambardas Jain
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size134 MB
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