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वीर-eeeeeeee
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शीत-तप नदी के किनारे, वीर थे जब कर रहे। हिरण उनके रगड़ तन को खाज अपनी हर रहे।
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गगन से रवि आग जब बरसा रहा था। तप्त गिरि पर वीर का तप छा रहा था ।
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