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________________ प्राणी वीर नाम नित बोल ! मतलब की है दनिया सारी, मतलब के हैं सब संसारी । भोगी मन की आंखें खोल, प्राणी वीर नाम नित बोल ।। -श्रीमती शीलवती तुमने ज्ञान भानु प्रगटाया, मिथ्यातम को दूर भगाया । दिया धर्म उपदेश अनमोल, प्राणी वीर नाम नित बोल ॥ -श्री राजकुमारी जो तू चाहे आत्म शुद्धि, राग द्वेष की तजदे बुद्धि । जैन धर्म रतन, अनमोल, प्राणी वीर नाम नित बोल ॥ -पुष्पलता जिसने आतमध्यान लगाया, उसने निश्चय सम्यक पाया। ज्ञान चक्ष तू खोल, प्राणी वीर नाम नित बोल ॥ -कुमारी कुसुम मोहने ऐसा जाल बिछाया, ममता ने चेतन भरमाया । जग में वीर नाम अनमोल, प्राणी वीर नाम नित बोल ।। -कान्तिदवी मूरख अपनी गठरी टटोल,पुण्य अधिक या पाप अधिक है ? ज्ञान तुला पर तोल, प्राणी वीर नाम नित बोल ॥ -श्री रज्जीबाई पल-पल में आयु घट जावे, वक्त गया फिर हाथ न आवे । है मनुष्य जीवन अनमोल, प्राणी वीर नाम नित बोल ॥ -सूरजबाई वीर प्रभु से ध्यान लगाले, माल धन यहीं पड़ा रह जावे । मन का फाटक खोल, प्राणी वीर नाम नित बोल ॥ -विजयलता १३४ ] Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035297
Book TitleVardhaman Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambardas Jain
PublisherDigambardas Jain
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size134 MB
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