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________________ मानव को राह दिखाई वीर ने निर्वाण की! लीग आफ "नेशन” का विश्व व्यापी शान्तिवाद । बौद्धिक विशेषतायें चीन व जापान की। 'हरै हिटलर', 'रोज वेल्ट' का सुधारवाद । 'गांधी' की विशाल, श्रात्मशक्ति वर्तमान की। गर्जना 'डि वेलर', 'मुसोलिनी का क्रान्तिवाद' । जागृति ईरान व तूरान अफग़ान की ॥ विश्व का विराट रूप देखा चाहते हो यदि । 'शशि' सुनियेगा वाणी 'वीर' भगवान् की। -श्री कल्याण कुमार, 'शशि' पच्चीस कषाय, बारह अवत, मिथ्यात पांच । मेट दो है यदि इच्छा तुम्हें निर्वाण की । अहिंसा, तप, त्याग, व्रत, संयम, रत्नत्रय । परम उत्तम विधि है यह, मनुप्य के कल्याण की । -ब्रजबाला, प्रभाकर सात तत्त्व, नौ पदार्थ, रत्नत्रय, आत्मज्ञान । प्रभावशाली कुञ्जी है, निज-पर के पहिचान की । अहिंसावाद, कर्मवाद, स्याद्वाद, साम्यवाद । महा अनुपम फ्लासफी है वर्द्धमान् भगवान् की ।। -निर्मला कुमारी चण्डाल और पापियों तक का सुधार किया । मानव को राह दिखाई वीर ने निर्वाण की । पशुवों तक से प्रेम का पढ़ा कर सुन्दर पाठ । खोल दी महावीर ने आंखें सारे जहान की । -श्री श्यामलाल 'शुक्ल' [ १३३ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035297
Book TitleVardhaman Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambardas Jain
PublisherDigambardas Jain
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size134 MB
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