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________________ मनुष्य जीवन से अपने पुरुषार्थ द्वारा परमात्मपद प्राप्त करने वाले सत्य और अहिंसा के अवतार :: विश्व-शान्ति के अग्रदूत श्री बईमान महावीर परस्तावना . If the teachings of YAHAVIRA is necessary at any time. I should only say that it is moet, necessary NOW. Not only that but it has to be tragbt IN ALL PARTS OF THE WOULD 60 that UNIVERSAL PEACE MAY BE ESTABLISHED." -Our Loving Presideat Dr. Rajendra Pd, Ji: VOA, VOL. II, P, 201. सारा संसार इस समय दुःख अनुभव कर रहा है । गरीब को पैसा न होने का एक दुःख. है तो अमीर को सम्पत्ति की तृष्णा, कारोवार को बढ़ाने की लालसा और ईर्षादि के चिन्तायुक्त अनेक कष्ठ । बड़े से बड़े प्रेजीडेण्ट, प्रधान मन्त्री और राज्य तक देश-रक्षा के भय तथा शत्रओं की चिन्ता से पीड़ित हैं और अनेक उपाय करने पर भी उन्हें सुख "शान्ति प्राप्त नहीं होती । आखिर इस का कारण क्या ? यह तो सब को स्वीकार करना ही पड़ता है कि राग-द्वप, को लोभ आदि हिंसामयी भावों के कारण ही संसार दुःखी. बनाया है, परन्तु इन दुर्भावों को मिटाने के उपायों में मतभेद हैं। कुछ लोगों का विचार है कि युद्ध लड़ने से अगस्त नष्ट हो जाती है.. परन्तु डा. G. Sandwana के शब्दों में लड़ाईयों से देश की सम्पत्ति, देश र, देश का व्यापार तथा देश की उन्नति नष्ट हो जाती है और आने वाली सन्तति तक को भी युद्धों के बुरे प्रभाव का फल भोगना पड़ता है। एक युद्ध के बाद दूसरा और उसके बाद तीसरा युद्ध लड़ना पड़ता है और इस [१७ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035297
Book TitleVardhaman Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambardas Jain
PublisherDigambardas Jain
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size134 MB
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