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________________ बम्बई हाईकोर्ट का फैसला* बम्बई हरिजन मन्दिर प्रवेश कानून जैन मन्दिरों पर लागू नहीं शोलापुर जिले के आकलूज नगर के कुछ जैनियों की दरखास्त (Civil Application No. 91 of 1951, presented on January 17, 1951) पर बम्बई हाईकोर्ट के माननीय चीफ जस्टिस श्री सी० जे० छागला और जस्टिस गजेन्द्रगढ़कर के फैसले तिथी २४ जौलाई १६५१ के सारका हिन्दी अनुवाद : ...... “एडवोकेट जनरल की मंशा यह है कि कानून की उक्त धारा में 'हिन्दू' की जो व्याख्या की गई है, उसे इस धारा में भी शामिल करना चाहिए और उस व्याख्या को इस धारा में करने के बाद हमें उसका यह अर्थ करना चाहिए कि प्रत्येक मन्दिर, चाहे वह हिन्दुओं का हो या जैनियों का हो, वह हिन्दू समाज के हर सदस्य के लिये खोल दिया गया है, जिसका अभिप्राय जैन समाज और हिन्दू समाज के सभी सदस्यों से है। इस मंशा को स्वीकार करना असम्भव है।....." ...... यह सच है कि जहाँ कोई रिवाज या व्यवहार विपरीत नहीं मिलता, वहाँ अदालतों के फैसले के अनुसार जैनियों पर हिन्दू कानून लागू होता है। फिर भी उनके प्रथक और स्वतन्त्र समाज के अस्तित्व के बारे में, जिस पर कि उनके अपने धार्मिक विचारों और विश्वासों की व्यवस्था लागू होती है, कोई विवाद नहीं किया जा सकता । ......." ....... एडवोकेट जनरल का मंशा कि भले ही किसी कानून या रिवाज से किसी हिन्द को जैन मन्दिर में पूजा करने का अधिकार प्राप्त नहीं है तो भी उसको इस कानून (बम्बई हरिजन मन्दिर प्रवेश ऐक्ट १९४७) से वह अधिकार प्राप्त होजाता है। हम इस मंशा को स्वीकार करने के लिये तैयार नहीं हैं। ....." ___"...... 'हमें प्रतीत होता है कि कलक्टर को यह अधिकार नहीं था कि वह जैनियों के मन्दिर का ताला तोड़ने के लिये बाध्य करता अथवा हरिजनों को जैन मन्दिर में जाने के लिये मदद देता।......" * इस अँग्रेजी फैसले की पूरी नकल हिन्दी अनुवाद सहित श्री परसादीलाल पाटनी, महामन्त्री श्र० भा० दिगम्बर जैन महासभा, मारवाड़ी कटरा, नई सड़क, देहली से छपी हुई केवल डाक खर्च भेजने पर प्राप्त हो सकती है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035297
Book TitleVardhaman Mahavir
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDigambardas Jain
PublisherDigambardas Jain
Publication Year
Total Pages550
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size134 MB
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