SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 16
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (८) ठराव सोळमो. अमदावादना मोहनलाल लल्लुभाई नामना माणसे काढेल ३ जा हेन्डबीलमां आपणा परमपूज्य परमोपकारी आचार्य महाराज श्री विजयानंद सुरिजी, तथा प्र. श्री कांतिविजयजी तथा मुनिराज श्री वल्लभ विजयजी उपर न छाजतां हुमला करेला जेथी पंजाब विगेरेना श्रावको उश्केराई गया हता ते वखते आपणा साधुओए अने खास करी प्रवतकजी कान्तिविजयजी तथा मुनीश्री वल्लभविजयजीए शांतता राखी तेमने समजाव्या ने कलेश वधवा न दीधो तेनी आ संमेलन अनुमोदना करे छे अने कोई वखते भविष्यमां तेवो प्रसंग आवे आवाज शांतता राखवा भलामण करे छे. ठराव सत्तरमो. नवा साधुने ज्यां सुधी पांच प्रतिक्रमण, दशवकालिक चार अध्ययन, जीव विचार, नवतत्त्व, अने दंडक अर्थ सहित न थई जाय त्यां सुधी व्याकरणादि अन्य अभ्यासमा जोडवो नहि. ठराव अढारमो. साध्वीओ अथवा गृहस्थीओ पासे कपडां न धोवराववानो जे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035293
Book TitleVadodarama Shrimad Vijayanandsurishwarji Maharajna Sanghadana Muni Sammelane Karela Tharavo
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Yuvak Sangh
PublisherJain Yuvak Sangh
Publication Year1930
Total Pages24
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy