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________________ भद्रावती [भांडक] मंडन श्रीकेसरीया पार्श्वनाथ जिनस्तवन, विमलाचल धारा-ए देशी. केशरीयास्वामी, अंतरजामी, करुणा करीने उगार, प्रभु पारसनामी, भांडकधामी, शीवपुरगामी, करुणा करीने उगार-आंकणी. ॥ काल प्रभावे भद्रावती नगरी, भांडकथी पंकाय, तीर्थनो महिमा वधे छे दिनदिन, अधिष्ठायकनी सहाय रे । प्रभु पारसनामी ॥१॥वंछित पूरण संकट चूरण, विशमा जिनराय, केशरीया पारसनाथ देखतां, दुरगति दूर पलाय रे । प्रभु पारसनामी ॥२॥ जैन तीरथ जाणी हुँ आव्यो, हे जिन दीनदयाल, सार्थवाहं निर्वाण नगरना, टालो भवजंजाल रे। प्रभु पारसनामी. ॥३॥ ९ अपराधी अनादिनो रे, रुल्यो अनंत संसार, स्थावर विकल पंचेंद्रिना रे, कीधा भव अपार रे । प्रभु पारसनामी. ॥४॥ लोभ क्रोध मद मोहमा रे. राची रह्यो दिनरात, हुं लंपट हुं लालची रे, पामी नहीं मुखशात रे.। प्रभु पारसनामी. ॥५॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035289
Book TitleTithi Tap Manikyamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansavijay
PublisherHansavijayji Jain Library
Publication Year1920
Total Pages40
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size4 MB
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