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श्रीमुक्तादेवी योगीनि, जे समस्त सिद्ध शिरोमणि, तिये प्रसादें चक्रपाणि, ज्ञानसिध्दु ॥ ६९ ॥
जळांघरु मेडुकि कंथडि, धुंधडी, कापड, विरूपाक्षु ॥ ७० ॥
सर्व सुसावेरी, नागार्जुन कणेरी, लुइलाला कुकरि, रत्नघोषु ॥ ७१ ॥
कान्हु कुदाळ, दारिपु कलालि, भुसकु कांबळ, कोरंटकु ॥ ७२ ॥
चर्पट कपीट कांसारि, चाटु भाटु कुंभार, कनखळु मिखळु चमारि, साति तांति ॥ ७३ ॥
घटामहिषु चोखली, सर्व भक्षकु सिद्ध वरली, काश्यपु चिहाळी, घटु मनाक्षु ॥ ७४ ॥
पंकज दुखंडि, लिचका परखंडि, जळांघरु कवडि, निर्गुण भंगी ॥ ७५ ॥
कुमुदु गुडरी, वोडिका कावेरी, पाहाणु सागरी, अजपा बोधि ॥ ७६ ॥
अवधुतु गुंड मराउळ शबरी, मनु अजगीरि, जिराबाई खेचरी, देमादेवी ॥ ७७ ॥
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