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॥ अर्हम् ॥ नमोनमः श्री प्रभुधर्मसूरये ।
सुदर्शन- पण्डित प्रत्युत्तरम्
वा
भूमशोधकः
वीर सं० २४६७
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कर्त्ता
न्यायविशारद-न्यायतीर्थ - उपाध्याय श्री मंगलविजयजी महाराज
प्रकाशन
हेमचन्द शबचन्द शाह
कल त्ता।
प्रथमावृति १०००
धर्म सं० १६
विक्रम सं० १६६७
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