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________________ यतीश्वरोंसे अच्छतरह परिपूर्ण हो । किंतु उससे भिन्न नगर उजड़ा हुवा कहा जाता है। इसलिये यह नगर वसाहुवा है अथवा उजड़ा हुवा' ? यह प्रश्नभी कुमारका विचार परिपूर्ण था। तथा हे पिता स्त्रीको मारते हुवे किसी पुरुषको देखकर जो कुमारने. 'यह स्त्री बंधी हुई है अथवा खुली हुई है ? आपसे यह प्रश्न किया था वह प्रश्नभी उसका अत्युत्तम प्रश्न था। क्योंकि बंधी हुई स्त्री विवाहिता कही जाती हैं और छूटी हुई का नाम अविवाहिता है । कुमारका प्रश्न भी इसी आशयको लेकर था कि यह स्त्री इसपुरुषकी विवाहिता है अथवा अविवाहिता हैं ? अतः कुमारका यह प्रश्नभी उसकी चतुरताको ज़ाहिर करता है । तथा मरे मनुप्यको देख कर जो कुमारने यह प्रश्न किया था कि "यह मराहुवा मनुष्य आजका मरा हुवा अथवा पहिलेका मराहुवा है? यह प्रश्नभी उसका वड़ी चतुरता परिपूर्ण था । क्योंकि हे पूज्य पिता ! जो मनुष्य धर्मात्मा, दयावान. ज्ञानवान् विनयसे उत्तमपत्रोंको दान देनेवाला. एवं समस्त जगतमें यशस्वी होता है और वह मरजाता है उसको तो हालका मराहुवा कहते हैं। और इससे भिन्न जो मनुष्य दानरहित कामी पापी होता है उसको संसारमें पहिलेसे ही मरा हुआ कहते हैं। कुमारका यह जो प्रश्न था कि “यह मराहुवा मनुष्य हालका मराहुवा हैं अथवा पहिलेका ! वह प्रश्न भी कुमारको अत्यंत बुद्धिमान एवं चतुर वतलाता है" तथा हे पिता कमारने धान्यपरिपूर्ण खेतको Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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