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________________ ( ३७ ) निमयतासे भोजन करेगा वही पुत्र आपके समान इस मगधदेश का निःसन्देह राजा हो सकेगा। चौथा निमिच यह समझिये:-- जिससमय नगरमें आग लगे उससमय जो पुत्र सिंहासन छत्र चवर आदि पदार्थोको अपने सिरपर रखकर नगरसे बाहिर निकले समझ लीजिये कि - मुकुटका धारण करनेवाला वही राज्यका भोगनेवाला होगा। और हे महाराज राज्यकी प्राप्तिका पांचवां निमित्त यह भी है:- कि थोड़े से पिटारोंको उत्तमोत्तम लड्डू तथाखाजे आदि मिष्टान्नों से भरवाकर, उनके मुँह को अच्छी तरहसे बंद करा कर और मुहर लगवाकर हर एक के घरमें रखवादीजिये तथा उनपिटारोंके साथ शुद्ध निर्मल मधुर जलसे पूर्ण एक एक उत्तम घडेको भी मुँह वंदकर उसी तरह प्रत्येक घरमें रखवा दीजिये फिर प्रत्येककुमारको एक एक घड़ेसे पानी तथा एकरपिटारेमें से लड्डु आदिके खानेकी आज्ञा दीजिये। उनमें से जो कुमार जलसे भरे हुवे घड़ेके मुखको खोलेही विना पानी पीलेवे तथा पिटारे से विनाखोले ही लड्डु आदि पदार्थोको खा लेवे समझ लीजिये कि वही पुत्र राज्यका भोगनेवाला होगा। ___ इस प्रकार नैमित्तिकके वताये हुवे पांच निमित्तोंको सुनकर महाराजने उस नैमित्तिकको विदा किया और ज्योतिषी के बतलाये हुवे उननिमिोंसे कुमारोंकी परीक्षा करनेकेलिये Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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