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( ३६३) पंद्रहवा सर्ग।
समस्त पदार्थोंके प्रकाश करनेमें सूर्यके समान, भावि | तीर्थकर श्री पद्मनाभ भगवानको नमस्कार कर स्वकल्याण सिद्धयर्थ उन्हीं भगवानके आचार्योद्वारा प्रतिपादित पांच कल्याणोंका वर्णन करता हूं। ___उत्मर्पिणीकालके एक हजार वर्ष बाद अतिशय चतुर उत्तम ज्ञानके धारक चौदह कलकर 'मनु' होंगे । और वे अपने बुद्धिबलसे प्रजाको शुभकार्यमें लगावेंगे। उन सबमें शुभकर्ता, अनेक देवोंसे पूजित, अनेक गुणों के आकर, अपनी किरणोंसे समस्त अंधकार नाश करनेवाले गंभीर, अनेक आभरणोंसे शोभित और अतिशय प्रसिद्ध तीर्थंकर पद्मनामके पिता अंतिम कुलकर महापद्म होंगें। कुलकर महापद्म मुखसे चंद्रमाको नेत्रोंसे ताराओंको वक्षःस्थलसे शिलाको दांतोंसे कुंदपुष्पको और बाहुयुग्मसे शेषनागको जीतेंगें । अनेक राजाओंसे वंदित राजा महापद्ममें उत्तमोत्तम गुण, रूप, समस्त कलायें, लि, यश आदि होंगे। महापद्म अपने उत्तम बुद्धिबलसे जीवेंगे। मनोहर रूपसे कामदेवकी तुलना करेंगे । निरंतर विभूतिके प्रभावसे देवतुल्य और अपने शरीरकी कांतिसे सूर्यके समान होंगे। महापद्मके रहने के लिये इंद्रकी आज्ञासे कुबेर अनेक रत्नोंसे जड़ित, मनोहर भूमियोंसे शोभित, अयोध्यानगरीका निर्माण
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