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________________ ( ३१७ ) भाई वह कौनसा मंत्र है मुझे भी तो दिखाओ देखूं तो वह कैसा कठिन है ? कुमारके इसप्रकार पूछेजाने पर उस पुरुषने शीघ्र ही वहमंत्र कुमारको बतला दिया । कुमार अतिशयपुण्यात्मा थे उस समय उनका भाग्य सुभाग्य था इसलिये उन्होंने मंत्र सीखकर शीघ्र ही इधर उधर कुछ बीज क्षेपण कर दिये और बातकी बातमें बह मंत्र सिद्ध करलिया मंत्रसे जो २ विद्या सिद्ध होनेवाली थीं शीघ्र ही सिद्ध होगईं । कुमारके प्रसादसे राजा वायुवेगको भी विद्या सिद्ध होगईं जिससे उसे परमसंतोष होगया एवं वे दोंनो महानुभाव आपस में मिल भेंटकर बड़े प्रेमसे अपने अपने स्थान चले गये । मंत्र सिद्ध कर कुमार अपने घर आये । विद्यात्रलसे उन्होंने शीघ्रही कृत्रिम मेघ बनादिये । रानी चेलनाको हाथी पर चढ़ालिया इच्छानुसार उसे जहां तहां घुमाया । जब उसके दोहले की पूर्ति होगई तो वह अपने राजमहल में आगई । दोहलेकी पूर्ति कठिनसमझ जो उसके चित्तमें खेद था वह दूर होगया । अब उसका शरीर सोनेके समान दमकने लगा । नोमास के बीत जानेपर रानी चेलनाके अतिशय प्रतापी शत्रुओं का विजयी पुत्र उत्पन्न हुआ । और दोहलेके अनुसार उसका नाम गजकुमार रक्खा गया । गजकुमारके बाद रानी चेलना के मेघकुमार नामका पुत्र उत्पन्न हुआ । सात ऋषियोंसे Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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