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( २९२ ) किसीसमय एक सोमशमा नामका ब्राह्मण निवास करता था। उसकी स्त्रीका नाम कपिला था । कपिला अतिशय सुंदरी थी मृगनयनी थी काममंजरी एवं रतिके समान मनोहरा थी। कदाचित् सोमशर्माको किसी कार्यवश किसी बनमें जाना पड़ा । वहां एक अतिशय मनोहर नोलेका वच्चा उसै दीख पड़ा । और तत्काल उसे पकड़ अपने घर ले आया । कपिलाके कोई संतान न थी। विना संतानके उसका दिन बड़ी कठिनतासे कटता था इसलिये जवसे उसके घरमें वह वच्चा आगया पुत्रके समान वह उसका पालन करनेलगी। और उसवच्चसे उसका दिनभी सुखसे व्यतीत होने लगा।
दुर्भाग्यके अंत हो जाने पर कपिलाके एक पुत्र उत्पन्न हुआ । पुत्रकी उत्पत्तिसे कपिलाके आनंदका ठिकाना न रहा। सोमशर्मा और कपिला अब अपनेको परमसुखी मानने लगे। और आनंदसे रहने लगे।
कपिलाका पति सोमशर्मा किसान था इसलिये किसीसमय कपिलाको धान काटनकोलिये खेतपर जाना पड़ा । वह वच्चेको पालनेमें सुलाकर और नौलेको उसै सुपुर्दकर शीघ्र ही खेतको चली गई। - उधर कापलिाकातो खेतपर जाना हुआ और इधर एक काला सर्प बालकके पालनेके पास आया । ज्योंही नोलाकी दृष्टि काले सर्पपर पड़ी वह एकदम सर्पपर रूरपड़ा और कुछ समयतक चू.
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