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________________ ( २७७ ) wwmmmmmmmmmmm इसी जम्बूद्वीपसे एक हस्तिनापुर नामका विशाल नगर है किसीसमय हस्तिनापुरका स्वामी अतिशय बुद्धिमान राजा विश्वसेन था। विश्वसेनकी प्रियाभार्या रानी वसुकांता थी । वसुकांता अतिशय मनोहरा चंद्रवदना मृगनयनी कृशांगी एवं पूर्णचंद्रानना थी । राजा विश्वसेनकी रानी वसुकांतासे उत्पन्न एक पुत्र जो कि शुभलक्षणोंका धारक सदा, धनवृद्धिका इच्छुक, वीर, एवं सर्वोत्कृष्ट था वसुदत्त था । राजा विश्वसेनने वसुदत्तको. योग्य समझ राज्यभार उसै ही देदिया था : और आनंद पूर्वक भोग भोगते वे अपने अन्तःपुर में रहते थे। ____ कदाचित् वे आनंदमें बैठे थे उससमय कोई एक सार्थ वाह मनुष्य उनके पास आया । उसने भक्तिपूर्वक उन्हें नमस्कार किया एवं अपनी भक्ति प्रकट करनेकेलिये एक आमकी गुठली उनकी भेंट की। राजा विश्वसेनने गुठलीतो लेली किंतु वे उसकी परीक्षा न करसके इसलिये उन्होंने शीघ्र ही सार्थवाहसे पूछा____ कहो भाई यह क्या चीज है मैं इसको पहिचान न सका । राजाके ऐसे वचन सुन सार्थवाहने कहा । कृपानाथ ! समस्तरोगोंके नाश करनेवाले आम्रफलका यह बीज है । इसदेशमं यह फल होता नहीं इसलिये यह अपूर्वपदार्थ जान मैंने आपकी सेवामें आकर भेंट किया है । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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