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________________ ( ७ ) चरित्रको कहता हूं । परन्तु जिसप्रकार, अधिक विस्तारवाले कच्चे धान्येंाकी अपेक्षा पक्रा हुवा थोड़ासा धान्य भी उत्तम होता है उसीप्रकार विस्तृत चरित्रकी अपेक्षा संक्षिप्तचरित्र उत्तम तथा मनुष्यों के मनको हरण करनेवाला होता है इसलिये मैं इस श्रेणिकचरित्रका संक्षिप्तरीतिसे ही वर्णन करता हूं । समस्त लोकका मन हरनेवाला, लाखयोजन चौड़ा, गोल, और तीनलोकमें अत्यन्त शोभायमान जम्बूद्वीप है । यह जम्बद्वीप कमलके समान मालूम पड़ता है क्योंकि जिसप्रकार कमलमें पत्ते होते हैं, उसीप्रकार भरतादि क्षेत्ररूपी पत्ते इसमें भी मौजूद हैं, जिसप्रकार कमलमें पराग होती है, उसीप्रकर नक्षत्ररूपी पराग इसमें भी मौजूद हैं । जिसप्रकार कमलमें कली रहती है, उसीप्रकार इस जम्बूद्वीपमें भी मेरुपर्व तरूपी कली मौजूद है । जिसप्रकार कमलमें मृणाल ( सफेद तंतु ) रहता है, उसीप्रकार इसजंबूद्वीप में भी शेषनागरूपी मृणाल मौजूद है । तथा जिसप्रकार कमलपर भ्रमर रहते हैं उसीप्रकार इस जम्बूद्वीपमें भी अनेक मनुष्यरूपी भ्रमर मोजूद हैं । यह जम्बूदीप दूधके समान उत्तम निर्मल जल से भरे हुवे तलावोंसे जीवोंको नानाप्रकारके आनंदप्रदान करनेवाला है । यह जम्बूदीप राजाके समान जान पड़ता है क्योंकि जिसप्रकार राजा अनेक बडे बडे राजाओं से सेवित होता है उसीप्रकार यह द्वीप भी अनेक प्रकारके Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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