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________________ वाला बाचाल कहे तो भी मुझे किसीप्रकारका भय नहीं क्योंकि जिसप्रकार कोयल वंसत ऋतुमें ही बोलती है और शुक सदा ही बोलता रहता है फिरभी शुकका बोलना किसीको आर्थयका करनेवाला नहीं होता, उसीप्रकार यद्यपि पूर्वाचार्य परीिमत तथा समयपर ही बोलने वाले थे और मैं सदा बोलने वाला हूं तो भी मेरा बोलना आश्चर्य जनक नहीं। जिसप्रकार पुप्पदंतनक्षत्रके अस्त होजानेपर अल्पप्रभाववाले तारा गणभी चमकने लगते हैं उसी प्रकार यद्यपि पूर्वाचार्योंके सामने मैं कुछ भी जाननेवाला नहीं हूं तो भी इस चरित्रके कहनकोलिये मैं उद्धतहोकर उद्योग करता हूं। ___ यद्यपि शब्दशास्त्रके जाननेवाले अधिक बोलनेवाले होते हैं तो भी वे वचन शुभ ही बोलते हैं उसीप्रकार यद्यपि हमारी वाणी स्खलित है तो भी हम शुभवचन बोलनेवाले हैं इसलिये हम पूर्वाचार्योंके समानही हैं । जिसप्रकार वड़े २ जहाज वाले सुखपूर्वक अभीष्ट स्थानको चले जाते हैं और उनके पीछे २ चलनेवाले छोटे जहाज वाले भी सुखपूर्वक अपने इष्ट स्थानको प्राप्त हो जाते हैं ठीक उसीप्रकार पूर्वा चार्योंके पीछे २ चलने वाले हमको भी इष्टसिद्धिकी प्राप्ति होगी। तथा जिसप्रकार दरिद्री पुरुष धनिक लोगोंके महलों, उनके उदय तथा उनकी अन्य अनेक विभूतियोंको देखकर विषाद नहीं करते उसीप्रकार सूत्रके अनुसार पूर्वाचार्योंकी कृतिको देखकर हमको भी वाक्योंकी रचनामें कभी भी विषाद Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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