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________________ mannarramanannnnnnnnnnnnnnar शीघ्रही खींचलिया। और उसै रथमें विठाकर तत्काल राजगृह नगरकी ओर प्रयाण करदिया। विशाला नगरीसे जब रथ कुछ दूर निकल आया।कुमारी चेलनाको अपने माता पिताकी हुड़क आई । वह उनकी याद कर रोदन करने लगी। किन्तु कुमार अनयन उसे समझा दिया जिससे उसका रोदन शांत होगया । एवं व समन्त महानुभव कुछ दिनवाद आनन्द पूर्वक मगधदशमें आपहुंचे । किसी दूतके मुखसे महाराजको यह पता लगा कि कुमार आ रहेहैं उनके साथ कुमारी चलना भी है। शीघ्र ही बड़ी विभूतिसे वे कुमारके सामने आये । कमारके मुखसे उन्होंने सारा वृत्तांत सुना । कुमारको छातीसे लगा महाराज अति प्रसन्न हुये । कुमारके साथ जो अन्यान्य सज्जन थे उनके साथ भी महाराजने अधिक हित जनाया । जिससमय मृगनयनी चंद्रवदनी कुमारी चेलना पर महाराज की दृष्टि गई तो उससमय तो महाराजके हर्ष का पारावार न रहा । दरिद्री पुरुष जैसा निविको देख एक विचित्र आंनदानुभव करने लगता है । चेलनाको देख महाराजकी भी उससमय वैसी ही दशा होगई । ___ इसप्रकार कुछ समय वार्तालाप कर सबोंने राजगृह नगरमें प्रवेश किया । महाराजकी आज्ञानुसार कुमारी चेलना सेठि इन्द्रदत्तके घर उतारी गई । किसीदिन शुभ महूर्त एवं शुभ लग्नमें महाराजका विवाह होगया। विवाह के Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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