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________________ mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm से निवेदन किया महाराज यदि आप कुमारके कामको देखकर प्रसन्न हवे हैं और उनकी अभिलाषा पूर्ण करना चाहते हैं तो एक कामकरैं सात दिन तक इस नगर और देशमें सब जगह पर आप अभय दानकी ड्योड़ी पिटवादें । सेठि इन्द्रदत्तके ऐसे कुमारके अनुकल वचन सुन राजा बसुपाल अति संतुष्ट हुवे और उन्होंने वेधड़क कह दिया । आपने जो कुमारके अनुकूल कहा है वह मुझे मंजूर है । मैं सात दिनतक नगर एवं देशमें सब जगह अभयदानके लिये तयार हूं। तथा ऐसा कह कर उन्होंने अपनी प्रतिज्ञाके अनुसार अभयदानके लिये नगर एवं देशमें सर्वत्र डंका भी पिटवा दिया। रानी नंदश्रीने यह बात सुनी कि कुमारकी बीरता पर मोहित होकर महाराज वसुपालनने सात दिन तक अभयदान देना स्वीकार किया है । सुनते ही वह अपने मनोरथको पूर्ण हुवा समझ, बहुत प्रसन्न हुई ।और जैसी नवीनलता दिनोंदिन प्रफुल्लित होती जाती है वैसी वह भी दिनोंदिन प्रफुल्लित होने लगी। शुभ लग्न शुभवार शुभनक्षत्र शुभादन एवं शुभयोगमें किसीसमय रानी नंदश्रीने अतिशय आनंदित, पूणचंद्रमा के समान मनोहर मुखका धारक, कमलके समान मनोहर नेत्रोंसे युक्त, उत्तम पुत्रको जना । पुत्रकी उत्पत्तिसे मारे आनंदके रानी नंदश्रीका शरीर रोमांचित होगया और वह सुख सागर में गोता लगाने लगी । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035265
Book TitleShrenik Charitra Bhasha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGajadhar Nyayashastri
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1914
Total Pages402
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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