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यहां पर यह भी स्पष्ट कह देना उचित समझते हैं कि श्रीमज्जैनाचार्य महाराज साहिब के व्याख्यान साधु-भाषा एवं परिमित शब्दों में ही होते हैं किन्तु यह पुस्तक केवल व्याख्यानों में से ही संग्रह करके सम्पादन नहीं की गई है, अपितु व्याख्यानों का आधार लेकर ही सम्पादन की गई है। अतः इसमें जो कुछ भूल या सूत्र विरुद्ध शब्द आगये हो तो उसके जवाबदार हम ही हैं पूज्य महाराज साहिब नहीं। जो कोई सज्जन बन्धु-भाव से हमें सप्रमाण भूलें सूचित करेंगे तो आभार सहित स्वीकार की जावेगी और द्वितीय संस्करण में उचित संशोधन भी कर दिया जावेगा। इत्यलम् ।
भवदीयबालचंद श्रीश्रीमाल, वर्द्धमान पीतलिया सैक्रेटरी-
प्रेसीडेण्ट - श्री साधुमार्गी जैन पूज्य श्री हुक्मीचंदजी महाराज की सम्प्रदाय का हितेच्छु श्रावक मण्डल, रतलाम (मालवा)
श्री जैन हितेच्छु श्रावक मण्डल ऑफिस, रतलाम श्रावण पूर्णिमा संवत् १९९७ वि०] [वीर संवत् २४६७
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