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सामायिक का उद्देश्य प्राप्ति हो सकती है, उन महापुरुषों की भक्ति और उन महापुरुषों के गुणानुवाद में मन लगा देना चाहिए। ऐसा करने पर आत्मा समभाव के समीप पहुँचेगा। ____ मन को स्थिर करने के लिए शास्त्रकारों ने पाँच प्रशस्त साधन बताये हैं। वे पाँच साधन इस प्रकार हैं-बाँचना, पूछना, पर्यटना, अनुप्रेक्षा और धर्म-कथा। इन पाँचों का रूप थोड़े में बताया जाता है।
१-वांचना से मतलब है प्रशस्त साहित्य का पढ़ना। प्रशस्त x साहित्य वही है जो सर्वज्ञ एवं सर्वदर्शी अर्हन्त भगवान का कहा हुआ प्रवचन हो और जिसे सर्व अक्षर समिपाती गणधरों ने सूत्र रूप में गूंथा हो। अथवा ऐसे ही साहित्य के आधार से निर्मित ग्रन्थों की गणना भी प्रशस्त साहित्य में है।
इस व्याख्या पर से यह प्रश्न होता है कि क्या ऐसे साहित्य के सिवा शेष साहित्य प्रशस्त नहीं है ? इस प्रश्न के उत्तर में यही कहा जावेगा, कि जिसकी दृष्टि सम है, जिसको सच्चे तत्त्व का बोध है, उसके लिए सभी साहित्य प्रशस्त हो सकता है, ऐसा नन्दी सूत्र में कहा है। समदृष्टि और सभे तत्त्व को जानने वाला व्यक्ति जिस साहित्य को भी देखेगा, उस साहित्य में से तत्त्व निकाल कर उस तत्त्व का सम्यक् परिणमन ही करेगा। लेकिन ऐसी शक्ति आप्त वाक्य ही प्रदान करते हैं, इसलिए जिसे भाप्त बचन का बोध है, Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com