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अखिल विश्व जैन मिशन
जीवधारियों की चेतना या ज्ञान और उनके कर्म का आधार या श्रोत कहां, क्या, कैसे और क्यों है इस विषय के सच्चे ज्ञान का बड़ा अभाव संसार में अब भी है । विभिन्न धर्मों ने अपनी-अपनी खिचड़ी अलग-अलग पका कर और एक दूसरे का विरोध खड़ा कर के बड़ा अधिक गोलमाल कर रखा है। "धर्माधिपति" लोग अपनी पूज्यता, महत्ता और आजीविका बनाए रखने के लिए लोक और समाज को अपने चंगुल और रूढ़ियों, मूढ़ताओं या मिथ्या मान्यताओं से मुक्त नहीं होने देते। भौतिक विज्ञान की व्यापक जानकारी और प्रचार के इस तर्क बुद्धि-सत्य के युग में भी लोगों ने भ्रमात्मक धार्मिक विचारों, भयों अथवा आर्थिकस्वार्थ के वशीभूत सत्य को ही तर्क, अतर्क, कुतर्क इत्यादि से विकृत बना कर उसे ही या आडम्वरमय असत्य को ही अपने और दूसरों पर लाद रखा है।
.. धर्म, ईश्वर, न्याय और रक्षा के नाम में भयानक महायुद्ध होते हैं
और नरहत्याएं करोड़ों की संख्या में की जाती हैं। एक तीसरे सर्वनाशी विश्व युद्ध की तैयारियां अब भी जोरों में जारी हैं।
___यह सारा रगड़ा-झगड़ा शुद्ध आत्मज्ञान की कमी या सत्य और अहिंसा के अभाव के ही कारण है। "वस्तु विज्ञान" बिना “आत्म विज्ञान" के अधूरा है। इसे दूर करना हर समझदार व्यक्ति, संस्था, और सरकारों का कर्तव्य है। अखिल विश्व जैन मिशन ने इस दिशा में कदम बढाया है। मिशन ने इंगलैंड, जर्मनी, फ्रान्स, इटली, अमेरिका आदि पश्चिमीय देशों में अपने प्रचारक उपलब्ध कर अहिंसा, सत्य, शान्ति और मच्चे आत्मधर्म के संदेश का विस्तार करने की चेष्टा की है। "Voice of Ahinsa" मैगजिन अंगरेजी में निकाल कर एवं बहुत से अच्छे अच्छे ट्रैक्ट लाखों की संख्या में प्रकाशित कर सभी जगह बंटवाकर इसने बड़ा भारी काम किया है।
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