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________________ - संख्या ५] विक्टोरिया क्रास ४८३ उनसे वैर था। अब उनके दरवाज़े पर मत जाना। ऐसी और फिर गम्भीर स्वर में बोला-"वेल सूबेदार ! हम बात जबान पर मत लाना। वह सूबेदार की बेटी है। होल ब्रिगेड को फालेन का हक्म देता है।" अच्छा , चल । घर चल।" हुक्म पाकर अर्दली सूबेदार ने बाहर आकर बिगुल चेतसिंह चुपचाप घर के भीतर पाया। क्रोध, क्षोभ बजाया. और जनरल साहब फिर गहन चिन्ता में लीन और अपमान से उसका हृदय लंका की तरह जल रहा हो गये। था। उसकी वृद्धा माता अब भी चुप नहीं होती थी. धीरे जनरल एलिस की चिन्ता का यह सबब था कि जर्मनधीरे बडबडाती जाती थी। चेतसिह अब नहीं सह सका. सेना ने दो महीने में बेलजियम का तहस-नहस कर उत्तरी घायल सिंह की तरह गरज कर बोला-"मा. बस कर। फ्रांस पर महाविकट हमला किया था। अँगरेजों की सेना हद हो गई । अच्छा तब नहीं तो अब कहता हूँ। मैं भी फ्रांस की सहायता न कर सके, इसी लिए जर्मन जनरल जाट का बेटा हूँ.तेरे चरणों की सौगंध खाता हूँ। अब में वान क्लक ने एकाएक तीन आर्मी कोर पश्चिम की अोर सूबेदार बनगा और तब कलावती से ब्याह करूँगा। नहीं मोड़कर इंग्लिश चेनेल' को घेर लेना चाहा। लेकिन इस गाँव में मुँह नहीं दिखाऊँगा।" बेलजियम के जीतने में दो महीने की देर हो जाने से दूसरे दिन चेतसिंह को गाँव में किसी ने नहीं जनरल फ्रेंच के अधीन डेढ़ लाख अँगरेज़ी सेना और देखा। जनरल सर जेम्स विलकाक्स के अधीन ६०,००० हिन्दु(२) स्तानी सेना इंग्लिश चेनल को बचाने के लिए उत्तरी ___एक छोटे से डेरे में ब्रिगेडियर जनरल एलिस चुप- फ्रांस में पहुँच गई। चाप बैठे हैं। सामने छोटे टेबिल पर एक मोमबत्ती जल हिन्दुस्तानी सेना के पाँचों डिवीज़न ब्रिटिश सेना के . रही है, जिसके मन्द प्रकाश में जनरल के चेहरे पर चिन्ता दाहने बाज़ पर अारास नगर की रक्षा करने के लिए तैनात की रेखायें स्पष्ट दिखाई देती हैं। अर्धरात्रि का समय है. थे। ब्रिगेडियर जनरल राबर्ट तीन डिवीज़न (३६.०००) प्रचण्ड ठंडी वायु गरज गरजकर रुई की तरह बर्फ की सेना लिये अारास नगर से दस मील उत्तर एक पहाड़ी वर्षा से उत्तरी फ्रांस को ढक रही है। आकाश स्याही की पर (हिल नं०६०) खाइयाँ खोदकर जेनरल वान कुक तरह काला है और बर्फ की वर्षा से हाथ भर दूर की वस्तु की सेना को रोक रहे थे। पहली लाइन के दो मील भी नहीं दिखाई देती। इतने में डेरे का पर्दा हटकर एक पीछे जनरल एलिस के साथ दो डिवीज़न रिज़र्व सेना थी। भोर होगया. और एक सिख श्राफ़िसर जिसकी पगडी और इन दोनों सेनाओं के बीच में एक गहरा नाला था। पिछली ओवरकोट पर बालू की तरह सफ़ेद बर्फ जमी थी, डेरे के रात में भीषण तूफ़ान और बर्फ में छिपकर ५०० जर्मन'अन्दर आया, और सीधे खड़े होकर साहब को फ़ौजी सिपाहियों ने नाले पर सन्तरियों को मारकर अधिकार कर सलाम किया । जनरल साहब ने सलाम का जवाब देते हुए लिया था और कटीले तार बाँधकर मेशीनगर्ने लगा दी प्रश्नसूचक दृष्टि से सिख आफिसर की ओर देखा। साहब थीं। यही चिन्ता जनरल एलिस को हैरान कर रही थी। का इशारा पाकर सिख सूबेदार ने फिर सलाम किया और सूबेदार सन्तसिंह के बाहर जाते ही जनरल एलिस कहा-“हुज़र, हम सिख स्काउट कंपनी नं० २ लेकर नाले अपने मन में कहने लगे कि 'यदि हमला करके नाले पर पर गये। हमको दुश्मन की मौजूदगी का ख़याल था, से जर्मन-सेना हटाई जायगी तो तोपों की गरज सुनकर इससे बर्फ में छिपते हुए गये। लेकिन दुश्मन होशियार कहीं जेनरल राबर्ट काई भयंकर भूल न कर बैठें। इसमें थे. इससे पूरी खबर लेने के लिए हमने हमला किया और तो कोई शक ही नहीं कि नाले पर जर्मन टुकड़ी की मदद नाले पर पहुँच गये। नाले में दुश्मन के पांच सौ जवान पर और भी जर्मन-सेना इधर-उधर छिपी होगी। इससे छिपे हए हैं। पचास जवानों का नुकसान उठाकर हमने जनरल राबर्ट का नाला पारकर दुश्मनों को मारते हुए कंपनी को लौटाया।" पीछे हटकर हमारी रिज़र्व लाइन से मिल जाना चाहिए । - जनरल ने अधीर होकर सूबेदार को इशारे से रोका अगर जनरल राबर्ट को ख़बर न दी जायगी तो तीन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035249
Book TitleSaraswati 1937 01 to 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1937
Total Pages640
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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